Thursday, August 8, 2013

जिससे अपना सूटकेस तक नहीं उठता, उसने भी लट्ठ उठा रखा है और ढूंढ रहा है समलैंगिंगों को


बहुत दिनों से देख, पढ़ और सुन रहा हूँ ।

सब के सब सम्भ्रांत किस्म के भले लोग हाथ धोकर,

बल्कि नहा धो कर

समलैंगिंगों  के पीछे पड़े हैं ।

जिससे अपना सूटकेस तक नहीं उठता, उसने भी लट्ठ उठा रखा है

और ढूंढ रहा है समलैंगिंगों को .............




क्यों भाई ?

क्या बिगाड़ा है उन्होंने आपका ?

क्या वो आपके साथ कुछ हरकत कर रहे हैं ?

क्या वो आपको कोई तकलीफ़  पहुँचा रहे हैं ?

नहीं न ?

तो जीने दो न उन को अपने हिसाब से ...

तुम क्यों ज़बरदस्ती उनकी खीर में अपना चम्मच हिला रहे हो ?




अरे आपको तो उनका सम्मान करना चाहिए...

नागरिक अभिनन्दन करना चाहिए ...

और आप उनका अपमान कर रहे हैं ।



असल में आप ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि

आपकी समझदानियाँ छोटी हैं

जिनमें  अभी तक ये बात आई ही नहीं कि

समलैंगिंगता  समाज के लिए अभिशाप नहीं बल्कि वरदान है



सम यानी some का मतलब होता है कम,

अब कोई लैंगिंग सम्बन्ध

कम बनाए तो आपको क्या तकलीफ़  है ?


कौआ अगर कूड़े में मुंह मारता है ,गिद्ध अगर मुर्दों का मांस नोंचते हैं

या कोई सूअर गन्दगी में ऐश करता है तो क्या हमें तकलीफ़  होती है ?

बिल्कुल नहीं होती, जो जैसे भाग्य लेकर आया है वैसा जीवन जीता है ।

तो फ़िर ये गे लोग जो नर्क अपने भाग्य में लिखा कर लाये हैं उससे हमें

तकलीफ़  क्यों ?

___________समलैंगिंगता के फायदे :


जब कुत्सित और कामी पुरूष आपस में ही संतुष्टि प्राप्त कर लेंगे

तो महिलाओं और कन्याओं पर होने वाले अनाचार में कमी आएगी ।

वे निश्चिंत हो कर घर से बाहर जा सकेंगी ...


२ सजातीय सम्बन्धों के कारण अनैच्छिक गर्भाधान और भ्रूण हत्या

जैसे पाप भी कम होंगे । बल्कि ख़त्म ही हो जायेंगे ।


३ सबसे बड़ा खतरा आज हमें तेज़ी से बढती जनसँख्या का है ।

समलैंगिंगता से यह खतरा भी कम होगा, आबादी पर विराम लगेगा ।


और भी बहुत से फ़ायदे हैं जो मैं गिना सकता हूँ लेकिन डर ये है कि

इनका इतना पक्ष लेते लेते

कहीं मैं ख़ुद ही समलैंगिंग न हो जाऊं .....हा हा हा हा हा हा हा


इसलिए ....शेष अगले अंक में ..........



समलैंगिंगों आगे बढो ..हम तुम्हारे साथ हैं .........हा हा हा हा हा हा

जय हिन्द
-अलबेला खत्री 

3 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

मगर आप इनकी तरफदारी क्यों कर रहे हैं।

Unknown said...

ha ha shastriji, poora padh lo, sab pata chal jaayega .........

prudent holidayers club said...

खत्री जी ये क्या बकबास है ?

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