Saturday, February 15, 2014

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हास्यकवि अलबेला खत्री का पैग़ाम
भारत की पंजाछाप सरकार के नाम
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Wednesday, January 29, 2014

प्यारे बापू, आपका मनोरथ कुछ ही महीनों में पूरा कर दिया जाएगा


प्यारे बापू,
कांग्रेस को ख़त्म करने की आपकी अन्तिम ईच्छा पूरी करने के लिए गुजरात से एक वज्रपुरुष ताल ठोक चुका है इसलिए आज आपकी पुण्यतिथि पर हम भारतवासी आपको श्रद्धांजलि देते हुए यह विश्वास भी दिलाना चाहते हैं कि आपका मनोरथ कुछ ही महीनों में पूरा कर दिया जाएगा

कांग्रेस मुक्त भारत - नमो नमो भारत
अलबेला खत्री 



Sunday, January 12, 2014

इस झूठी और बनावटी कहानी को समझने के लिए अब नीचे दिए गए असली प्रमाण देखिये



एक मशहूर चित्रकार ने बहुत ही ख़ूबसूरत चित्र बनाया और उसे एक सार्वजनिक स्थल पर लगा दिया परन्तु नीचे अपना नाम नहीं लिखा ---कलाप्रेमी लोग आते, देखते और प्रशंसा करते हुए निकल जाते लेकिन ये नहीं जान पाते कि यह ख़ूबसूरत कलाकारी आखिर है किसकी ?  संयोग से वहाँ एक नया नया चित्रकार आया, उसने भी जब देखा कि चित्र के नीचे चित्रकार का नाम नहीं है तो उसने मौके का लाभ उठाते हुए  उस पर अपना नाम लिख कर दस्तखत कर दिए और देखते ही देखते बड़ा मशहूर हो गया

इस झूठी और बनावटी कहानी को समझने के लिए अब नीचे दिए गए असली प्रमाण देखिये  और फिर विचार कीजिये कि मैं कहना क्या चाहता हूँ ? बात पूरी समझ जाएँ तो मुझे भी बताना :


हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले
-ग़ालिब

बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ  ज़िन्दगी, हम दूर से पहचान लेते हैं
-फ़िराक़ गोरखपुरी

सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है
न हाथी है ना घोड़ा है, वहाँ पैदल ही जाना है
-शैलेन्द्र

भरी दुनिया में आखिर दिल को समझाने कहाँ जायें
मोहब्बत हो गयी जिनको वो दीवाने कहाँ जायें
-शकील बदायूँनी

बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है
हवाओं रागिनी गाओ मेरा महबूब आया है
-हसरत जयपुरी

सुहानी चाँदनी रातें हमें सोने नहीं देतीं
तुम्हारे प्यार की बातें हमें सोने नहीं देतीं
-आनंद बख्शी

पवन जब गुनगुनाती है तुम्हारी याद आती है
घटा घनघोर छाती है, तुम्हारी याद  आती है
बर्क़ जब कड़कड़ाती हैं तुम्हारी याद आती है
कि जब बरसात आती है, तुम्हारी याद आती है
-अलबेला खत्री

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
- कुमार विषवास

मेरे कहने का मतलब है कि इस मीटर में लिखने की परम्परा बहुत पुरानी है और मुशायरों में मशहूर है लेकिन आज इस मीटर पर कोई भी लिखता है तो उसे कुमार विष वास से प्रभावित बताया जाता है - ठीक उसी प्रकार जैसे गोवा  के मुख्यमन्त्री की सादगी व आम आदमियत बहुत पुरानी है, लेकिन आजकल इसे झाड़ू वालों की ईज़ाद बताया जा रहा है

जय हिन्द  !
अलबेला खत्री









Friday, October 4, 2013

हँसी के सफ़र पर चला हास्यकवि अलबेला खत्री



बड़ा आनंद अनुभव होता है मन में सफ़र पर जाते वक्त 

क्योंकि  लोग  सर आँखों पर बिठाते हैं  

कविता को और कवियों को ........

हँसी के सफ़र पर चला हास्यकवि अलबेला खत्री
हँसी के सफ़र पर चला हास्यकवि अलबेला खत्री
हँसी के सफ़र पर चला हास्यकवि अलबेला खत्री

हँसी के सफ़र पर चला हास्यकवि अलबेला खत्री

Tuesday, September 10, 2013

गणपति बाप्पा मोरिया, हरो हमारी पीर


गणपति का शुभ आगमन, मांगल्य की खान
स्वागत में दिनरात हम, करें सतत गुणगान

गणपतिजी के कान तक, पहुंचे यह सन्देश
महंगाई में घिर गया, पूरा भारत देश

गणपति बाप्पा मोरिया, हरो हमारी पीर
महंगाई ने भर दिया, नयन नयन में नीर

गणपति बाप्पा आइये, रिद्धि सिद्धि के संग
प्रसराओ इस देश में, सुख  के सुरभित रंग

गणपतिजी अब कीजिये, ऐसा पक्का काम
तन नीरोगी हों सभी, मन में  हो विश्राम
-अलबेला खत्री

ganeshotsav 2013 by hasyakavi albela khatri

ganeshotsav 2013 by hasyakavi albela khatri

ganeshotsav 2013 by hasyakavi albela khatri

Friday, September 6, 2013

टीकम म्युज़िक बैंक प्रस्तुत हिन्दी कवियों और उर्दू शायरों का संगम "काव्य-कुम्भ"


हिन्दी हास्यकवि अलबेला खत्री द्वारा स्थापित टीकम म्युज़िक बैंक  के  पहले  ऑडियो एल्बम " काव्य-कुम्भ " में  अनवर फारुकी, कलाम आज़र , महबूब आलम,  शाहजहाँ शाद,  पूनम गुजरानी, संगीता अग्रवाल, अज्ञानी कवि, चंद्रशेखर प्रसाद व पारस सोनी को शामिल किया गया है .

कविता के मंच पर मौलिक कविता  के अभाव को देखते हुए  कुछ पुराने कवियों को सम्मान देने और कुछ नितान्त नए रचनाकारों को  प्रोत्साहन देने के लिए निर्मित काव्य-कुम्भ  का पहला भाग बन कर तैयार है और जल्द ही इसका लोकार्पण समारोह  होगा .




Tuesday, September 3, 2013

आसाराम बापू अपने संकट का निवारण करने के लिए यदि निर्मल दरबार में जाते तो वहां ऐसा कुछ होता


आसाराम बापू  अपने पर आये संकट  का निवारण करने के लिए यदि निर्मल  दरबार में  जाते तो वहां शायद ऐसा कुछ होता :

निर्मल बाबा :  भई  कहाँ से आये हैं आप ?

आसाराम     :  जी अभी तो जोधपुर से ही आया हूँ ..वैसे ठिकाने मेरे पूरी दुनिया में फैले हैं ..

निर्मल बाबा  :  करते क्या हैं आप ?

आसाराम      :  जी, लोगों के सांसारिक दुःख दूर करके उन्हें  परमात्मा से मिलाता हूँ , लेकिन  ख़ुद के नहीं मिटा पाया  इसलिए  आपके पास आया हूँ

निर्मल बाबा  :  अर्थात जिस प्रकार  एक हज्जाम अपने बाल दूसरे हज्जाम से कटवाता है  उसी प्रकार आज एक बाबा  दूसरे बाबा के पास  अपने संकट कटाने आया है .....

आसाराम      :   जी बाबा ..आप तो सब जानीजान हैं ....

निर्मल बाबा   :  भई  ये जेल बड़ी आ रही है सामने ..........क्या आपने कभी कोई जेल देखी है ?

आसाराम       :  जी हाँ, आजकल तो सपने में  रोज़ जेल ही दिखाई देती है ...

निर्मल बाबा   :  तो एक बार सपने से निकल कर,  पूरी जागृत अवस्था में कुछ दिन जेल में रह कर आ जाओ, किरपा वहीँ अटकी हुई है ....

आसाराम        :  जी बाबा जी ........बोल निर्मल दरबार की जय

परमपाखण्डी बाबा अलबेलानंदजी परमकंस के फ़ेसबुकिया प्रवचनों से साभार

https://www.facebook.com/AlbelaKhatrisHasyaKaviSammelan?ref=hl







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