Tuesday, November 24, 2009

बबली की जिज्ञासा शान्त की सुधा ओम ढींगरा ने.....




बबलीजी के मन में कई दिनों एक सवाल उठ रहा थाउन्होंने कई

लोगों से पूछा लेकिन उसका सही सही जवाब नहीं मिला थायहाँ

तक कि ताऊ रामपुरियाजी और समीरलालजी ने भी 'hands up'

कर दिए ,अन्ततः सुधा ओम ढींगराजी ने उनकी जिज्ञासा शान्त की


आइये अनुमान लगाएं कि क्या बात हुई होगी दोनों के बीच :


बबली - सुधाजी !

सुधा - हांजी !

बबली - दीदी, एक बात बताइये........ विवाह के वक्त जब किसी

कन्या की बारात आती है, तो कन्यापक्ष वाले इतना ढोल धमक्का,

इतनी आतिशबाज़ी गीत गा गा के इतना हंगामा क्यों करते हैं ?


सुधा - वो इसलिए कि दूल्हा गलती से किसी दूसरे के घर में

घुस जाए बारात लेकर............हा हा हा हा



Friday, November 20, 2009

जब सरपंच बन गया नंगलाल का बाप रंगलाल




रंगलाल चुनाव में खड़े हो गए और जब जीत कर गाँव के सरपंच

बन गए.....तो अपने बेटे नंगलाल से कहा- देखो बेटा ! अब मैं

सरपंच बन गया हूँ तो गाँव में कोई भी दुखी नहीं रहना चाहिए

क्या अपना, क्या पराया, क्या आदमी , क्या पशु-पक्षी...सभी ख़ुश

और नीडर होकर रहें, ये हमारी ज़िम्मेदारी है


नंगलाल - आप चिन्ता मत करो पापा ! मैं सबका ध्यान रखूँगा


सर्दियों का मौसम थाकड़ाके की ठण्ड पड़ रही थीरंगलाल को

दूर कहीं कुत्तों के कूकने की आवाज़ सुनाई दी तो उन्होंने नंगलाल

से कहा- जाओ बेटा ! पता करके आओ.....कुत्ते क्यों रो रहे हैं ....?



नंगलाल बाहर गया और थोड़ी देर बाद आकर बताया कि कुत्ते

बेचारे फ़रियाद कर रहे हैं और ठण्ड से बचने के लिए कोई छत

का सहारा मांग रहे हैंरंगलाल ने तुरन्त एक लाख रूपये देकर

कहा कि कल की कल उनके लिए रैन बसेरा बन जाना चाहिए ...

अगले दिन फ़िर कुत्ते रोने लगे, फिर नंगला को भेजा गया तो

उसने बताया कि छत तो उनको पसंद आई लेकिन सर्दी ज़्यादा है

कुछ ओढ़ने को भी चाहिए .......रंगलाल ने पचास हज़ार दिए और

बोले- सभी के लिए कल की कल कम्बल और रजाइयों का प्रबंध

हो जाना चाहिए



जब तीसरे दिन भी कुत्तों का रोना बंद नहीं हुआ तो रंगलाल ने

पूछा - अब क्या है ? नंगलाल बोला- पापा ! बहुत बेशर्म कुत्ते हैं .......

कहते हैं जब इतनी मेहरबानी की है तो थोड़ी और करदो ..हमारे

भोजन का भी प्रबन्ध कर दो........रंगलाल को दया गई.........

- सही कहते हैं बेटा वो ! क्योंकि सरपंच होने के नाते अपनी

रियाया की हर चीज का ख्याल हमें ही रखना है .....ये लो दो लाख

और कल से गाँव के सभी कुत्तों का दोनों समय का खाना..

हमारी ओर से..नंगलाल ने रूपये लिए और हाँ कर के चला गया



पांचवें दिन रंगलाल निश्चिन्त थे कि आज सभी कुत्ते आराम से

सोयेंगे और हम भी....लेकिन जैसे ही सोने के लिए बिस्तर पर

गए कुत्तों ने फिर कूकना आरम्भ कर दियाअब रंगलाल को

गुस्सा गया...उन्होंने उठाई बन्दूक और बोले- हरामखोरों ने

समझ क्या रखा है ? एक को भी नहीं छोडूंगा..। सब कुछ तो

दे दिया , अब और क्या चाहिए ?



नंगलाल ने कहा - पापा गुस्सा मत करो, आज वे कुछ मांग नहीं

रहे हैं,......... बल्कि आज तो वे आपका धन्यवाद अदा कर रहे हैं

और भगवान् से दुआ कर रहे हैं कि आप सदा ख़ुश रहें..........


इस तरह कुत्ते भोंकते  ही रहे, रंगलाल देता ही गया और

नंगलाल लेता ही गया


प्यारे पाठक  मित्रो


हमारे लोकतंत्र में रंगलाल कौन है,

नंगलाल कौन है और कुत्ते कौन हैं ?

आपके जवाब की प्रतीक्षा रहेगी

-अलबेला खत्री

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Thursday, November 19, 2009

अलबेला खत्री के mega musical show में जिम्मी मौजिस ने दिखाई फ़िल्म सितारों की पतंगबाज़ी.......




एक
शाम ......शहीदों के नाम - मुम्बई


जीत गये भाई जीत गये....जी के अवधिया जीत गये ...



इस
से पहले वाली पोस्ट में

मैंने एक सरल सा सवाल पूछा था

अनिल पुसदकर के ढाबे की वाट लगाने का ज़िम्मेदार कौन ? जल्दी बताइये..........



जिसके जवाब हेतु चार घंटे का समय दिया था

लेकिन बधाई के पात्र हैं श्री जी के अवधिया जी जिन्होंने

चार मिनट में ही सही जवाब मेरे मुँह पर मार दिया ...........

उनके पीछे-पीछे ही फ़टाफ़ट बबलीजी, पी डी जी,मुरारी पारीकजी,

पं डी के शर्मा 'वत्स' जी, श्री रूपचंद्र शास्त्रीजी और आख़िर में

श्री राज भाटिया जी ने भी सही जवाब दिया..........


तो विधिविधान अनुसार प्रथम विजेता घोषित हुए

श्री अवधिया जी !

और बाकी सब उप विजेता ...........पुरूस्कार स्वरुप सभी

विजेताओं को चार - चार आलू परांठे और शलगम का सौ सौ

ग्राम अचार तब भेन्ट किया जाएगा जब मैं ढाबा खोलूँगा


_________हा हा हा हा



Wednesday, November 18, 2009

अनिल पुसदकर के ढाबे की वाट लगाने का ज़िम्मेदार कौन ? जल्दी बताइये..........




अनिल पुसदकरजी भयंकर मूडी आदमी हैं

ये तो हम सब जानते ही हैं

बड़ी सुलझी किस्म के उलझे हुए

पत्रकार और समाजसेवी हैं,

ये भी हम जानते हैं लेकिन एक नई बात पता चली,

वे बड़े प्रयोगधर्मी भी हैंनए नए काम करते रहते हैं

और अच्छा करते हैं लेकिन उन्हें सलाह देने वाले शरद कोकास,

बी एस पाबला, राजकुमार ग्वालानी और ललित शर्मा जैसे

मित्र उनकी वाट लगा डालते हैं



अभी हाल ही, अनिलजी ने रायपुर में एक शानदार ढाबा खोला,

ये सोच कर कि खूब चलेगा और इस काम में कमाई भी खूब है ,

आलीशान सजावट भी की और कैश काउंटर पर सुन्दर सुकन्या

भी बिठाई और बोर्ड भी लगाया कि हमारे यहाँ बिल्कुल घर जैसा

खाना मिलता हैऔर तो और उधार की महाकर्षक सुविधा भी दी

लेकिन बढ़िया से बढ़िया खाना होने के बावजूद कोई ग्राहक खाने

के लिए नहीं आया ?



बताओ क्यों ?

क्यों ?

क्यों ?

क्यों ?



आपके जवाब के लिए समय सीमा 4 घंटे


और आपका समय शुरू होता है अब.............



नोट : जवाब इसी आलेख में छिपा छपा है






रंगलाल के बेटे नंगलाल ने पूछी अपनी कीमत .....




रंगलाल का बेटा नंगलाल दौड़ा दौड़ा आया और बाप के सामने

खड़ा हो गयाबाप ने बेटे पर सवालिया निग़ाह डाली तो बेटे ने

बाप को पटाने वाली बाल सुलभ मुस्कान बिखेरी..........


नंगलाल : पप्पा...मेरे पप्पा ...प्यारे पप्पा ...भोले पप्पा..

रंगलाल : क्या है ?

नंगलाल : आपकी नज़र में मेरी कीमत क्या है ?

रंगलाल : कैसी बात कर रहा है बेटा, तू तो अनमोल है..

नंगलाल : ऐसे नहीं, सही सही बताओ ! मेरी कीमत कितनी है ?

रंगलाल : बेटा तू तो करोड़ों रुपयों का है मेरे लिए.......

नंगलाल : तो ठीक है उसमे से पाँच सौ अभी दे दो...मुझे फ़िल्म

दिखानी है अपनी गर्ल फ्रेंड को............हा हा हा हा



Monday, November 16, 2009

राम बचाये इन चूना लगाऊ डाक्टरों से ....




डाक्टर साहेब

पिछले 10 साल से

लगातार

मुझे चूना लगा रहे हैं

लेकिन अभी भी

कैल्शियम की कमी बता रहे हैं.... हा हा हा हा


अपने घर में राम राज कब आयेगा ?




बड़ा शोर मचा था चुनाव के दिनों में । कोई कह रहा था ....

समाजवाद आयेगा , कोई कह रहा था - राष्ट्रवाद आयेगा,

कोई कह रहा था - राम राज आयेगा ....ये बात मेरी इकलौती पत्नी

ने सुन ली ।

मज़ाक में बोली - क्यों रे !

अपने घर में राम राज कब आयेगा ?

मैं बोला - कोई रावण तुझे ले के जायेगा और वापस ले के

नहीं आयेगा .....तब आयेगा ..................हा हा हा हा हा हा हा





Saturday, November 14, 2009

साले........नमक हराम क्रिकेटर !




एक बार फिर भारतीय क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम से

हार गई हैबहुत लोगों को दुःख हुआउन्हें तो बहुत ही गहरा

आघात लगा जिन्होंने भारत की जीत पर सट्टा लगा रखा था



दुःख मुझे भी हुआ

लेकिन मुझे क्रिकेट की हार से दुःख नहीं हुआमैं तो ये सोच कर

दुखी हूँ कि ये ऑस्ट्रेलियाई कंगारू साले कितने नमक हराम

क्रिकेटर हैं .........अपने यहाँ आए, अपना खाया पिया और अपने

को ही हरा के चल दिए.......जबकि अपने खिलाड़ी इतने नमक हराम

नहीं हैं, ये बहुत वफ़ादार हैं , जहाँ जाते हैं , जिसका खाते -पीते हैं ,

उसी को जिता के चले आते हैं .....


ये है भारतीयता.........हा हा हा


रंगलाल के बेटे नंगलाल ने मनाया बाल दिवस




रंगलाल का बेटा नंगलाल

आज सुबह सुबह अपने बालों में सफ़ेद रंग लगा कर उन्हें काले से

सफ़ेद
कर रहा थाबाप ने ये देखा तो पूछे बिना रहा गया



रंगलाल : ये क्या हो रहा है ?

नंगलाल : बाल दिवस मना रहा हूँ बाल सफ़ेद कर के ?

रंगलाल : मगर बाल सफ़ेद कर क्यों रहा है ?

नंगलाल : आप काले क्यों करते हैं ?

रंगलाल : मैं तो जवान दिखने के लिए करता हूँ बेटा ! क्योंकि

आजकल मार्केटिंग के लिए जवान दिखना चाहिए...

नंगलाल : मैं इसलिए कर रहा हूँ कि घर में कोई एक आध

बुजुर्ग भी होना चाहिए.....हा हा हा हा



Friday, November 13, 2009

बाल दिवस पर बाल की खाल




ज़माना सचमुच बदल गया है

पहले लोग - बाग़ आपस में मिलते थे तो पूछते थे :

आपके बाल बच्चे कैसे हैं ?


जबकि आज कल पूछते हैं :

आपके बाल बचे कैसे हैं ?



Thursday, November 12, 2009

तेरी मेहरबानी से मनमोहन हैं मालामाल, एक तू ही बलवान है भाभी बाकी सब कंकाल


तर्ज़ : चाँदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल
गायक : पंकज उधास


शौहर जैसा ढंग है
तेरा, सासू जैसी चाल

एक तू ही बलवान है भाभी,बाकी सब कंकाल



जिस रस्ते से तू गुज़रे वो वोटों से भर जाए

तेरी मेहनत कांग्रेस-के सोते भाग जगाये

तू जिस लीडर को छूले वो ही पीएम बन जाए

तेरी मेहरबानी से ही तो ..........

तेरी मेहरबानी से मनमोहन हैं मालामाल

एक तू ही बलवान है भाभी बाकी सब कंकाल



शरद-मुलायम-ममता-अमरसिंह सब हैं तेरे दूत

राहुल और प्रियंका हैं दो
बांहें तेरी मजबूत

आहें भर भर देखें तुझको एन डी
के भूत

तुझे नज़र लगे किसी की ......

तुझे नज़र लगे किसी की पूरे पाँच साल

एक तू ही बलवान है भाभी बाकी सब कंकाल



Wednesday, November 11, 2009

बाप रंगलाल बनाम बेटा नंगलाल



रंगलालजी का पाँच वर्षीय पुत्र नंगलाल कुछ पढ़ रहा था

# कौन सी किताब पढ़ रहे हो बेटा ?

- अपने बच्चों का लालन पालन कैसे करें

# तुम्हारे किस काम की है ये ? तुम तो ख़ुद ही अभी बच्चे हो ...

_ तभी तो देख रहा हूँ कि आप लोग मेरा लालन पालन

ठीक ठाक कर रहे हो या नहीं.....हा हा हा हा

हिन्दी है मदरटंग तो हिन्दी में बोलिये........



इंग्लिश से छिड़ी जंग तो हिन्दी में बोलिये



हिन्दी की है उमंग तो हिन्दी में बोलिये

हिन्दी दिवस पे हिन्दी में नेता ने ये कहा

हिन्दी है मदरटंग तो हिन्दी में बोलिये


.......ha ha ha ha ha ha ha ha


___वीनू महेन्द्र


Tuesday, November 10, 2009

स्लमडॉग मिलेनियर बनाम "मिलेनियर स्लमडॉग"



स्लम
डॉग मिलेनियर की सफलता से प्रभावित हो कर

उसका
भाग - दो बनाने के लिए सोचा जा रहा है ......

सोचा
क्या जा रहा है, अपने बालों को नोंचा जा रहा है

क्यों
कि फ़िल्म का हीरो होगा (सत्यम फेम) रामलिंगा राजू

और
फ़िल्मका टाईटल होगा

--"मिलेनियर स्लमडॉग"

_____________हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा


राजस्थान का सतीत्व और सीकर की मुर्गी .........



रतन सिंह जी शेखावत जितने सुन्दर दिखते हैं

उतना ही अभिनव लिखते हैं ।

राजस्थान की रत्नगर्भा धरती के

ये उर्जस्वित सपूत एक दिन सीकर नगर में सुबह सुबह

टहल रहे थे । संयोग से मैं भी इनके साथ था।

तभी मैंने देखा

एक मासूम सी मुर्गी दौड़ती हुई निकली जिसके पीछे एक


मवाली टाइप मुर्गा पड़ा हुआ था

मुर्गी आगे-आगे , मुर्गा पीछे-पीछे


अचानक मुर्गी बेचारी एक वाहन के नीचे आकर

तड़पते हुए मर गई ।


मुझे बड़ा दुःख हुआ ।

मैंने कहा - कुंवर साहेब अच्छा नहीं हुआ ।

वे बोले - बहुत अच्छा हुआ ।

मैंने कहा - गरीब मुर्गी की जान चली गई,

इसमे अच्छा क्या है ?


वे बोले - जान को मारो गोली , आन को देखो ....

ये सीकर की मुर्गी है ,


सीकर की ...

यानी राजस्थान की ....

इसने अपनी जान दे दी पर


इज्ज़त नहीं दी .............हा हा हा हा हा हा




Monday, November 9, 2009

न मैं कुछ समझा, न उनकी समझ में कुछ आएगा.......



पाँच
साल का बेटा जब पहली कक्षा की परीक्षा दे कर घर आया

पिता - कैसी रही परीक्षा ?

पुत्र - फिफ्टी फिफ्टी ........

पिता - मतलब ?

पुत्र - जो प्रश्न थे, वो मेरी समझ में नहीं आए और मैं जो उत्तर लिख

कर आया हूँ वो उनकी समझ में नहीं आयेंगे...हुआ हिसाब बराबर

- फिफ्टी फिफ्टी _______हा हा हा


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