Monday, November 9, 2009

न मैं कुछ समझा, न उनकी समझ में कुछ आएगा.......



पाँच
साल का बेटा जब पहली कक्षा की परीक्षा दे कर घर आया

पिता - कैसी रही परीक्षा ?

पुत्र - फिफ्टी फिफ्टी ........

पिता - मतलब ?

पुत्र - जो प्रश्न थे, वो मेरी समझ में नहीं आए और मैं जो उत्तर लिख

कर आया हूँ वो उनकी समझ में नहीं आयेंगे...हुआ हिसाब बराबर

- फिफ्टी फिफ्टी _______हा हा हा


6 comments:

निर्मला कपिला said...

हा हा हा बडिया शुभकामनायें

Udan Tashtari said...

वाह!! बालक देश का भावी नेता दिखे है... :)

Urmi said...

हा हा हा हा! बड़ा होशियार बेटा निकला! आज के बच्चे हर चीज़ में होते हैं आगे और किसी भी प्रश्न का उत्तर देने में वक्त नही लेते ! ऐसा ही जवाब अगर हर बच्चा परीक्षा में देता रहा तब तो हो गया कल्याण !

डॉ टी एस दराल said...

एक बार तो हमने भी ऐसा ही किया था.
जब सवाल समझ नहीं आया , तो जो आता था , वही लिख आये.
यानि जाते थे जापान , पहुँच गए चीन.
फिर भी पास हो गए.

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर जी.

शरद कोकास said...

बाप की समझ मे भी50-50 आया

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