Wednesday, January 29, 2014

प्यारे बापू, आपका मनोरथ कुछ ही महीनों में पूरा कर दिया जाएगा


प्यारे बापू,
कांग्रेस को ख़त्म करने की आपकी अन्तिम ईच्छा पूरी करने के लिए गुजरात से एक वज्रपुरुष ताल ठोक चुका है इसलिए आज आपकी पुण्यतिथि पर हम भारतवासी आपको श्रद्धांजलि देते हुए यह विश्वास भी दिलाना चाहते हैं कि आपका मनोरथ कुछ ही महीनों में पूरा कर दिया जाएगा

कांग्रेस मुक्त भारत - नमो नमो भारत
अलबेला खत्री 



Sunday, January 12, 2014

इस झूठी और बनावटी कहानी को समझने के लिए अब नीचे दिए गए असली प्रमाण देखिये



एक मशहूर चित्रकार ने बहुत ही ख़ूबसूरत चित्र बनाया और उसे एक सार्वजनिक स्थल पर लगा दिया परन्तु नीचे अपना नाम नहीं लिखा ---कलाप्रेमी लोग आते, देखते और प्रशंसा करते हुए निकल जाते लेकिन ये नहीं जान पाते कि यह ख़ूबसूरत कलाकारी आखिर है किसकी ?  संयोग से वहाँ एक नया नया चित्रकार आया, उसने भी जब देखा कि चित्र के नीचे चित्रकार का नाम नहीं है तो उसने मौके का लाभ उठाते हुए  उस पर अपना नाम लिख कर दस्तखत कर दिए और देखते ही देखते बड़ा मशहूर हो गया

इस झूठी और बनावटी कहानी को समझने के लिए अब नीचे दिए गए असली प्रमाण देखिये  और फिर विचार कीजिये कि मैं कहना क्या चाहता हूँ ? बात पूरी समझ जाएँ तो मुझे भी बताना :


हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले
-ग़ालिब

बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ  ज़िन्दगी, हम दूर से पहचान लेते हैं
-फ़िराक़ गोरखपुरी

सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है
न हाथी है ना घोड़ा है, वहाँ पैदल ही जाना है
-शैलेन्द्र

भरी दुनिया में आखिर दिल को समझाने कहाँ जायें
मोहब्बत हो गयी जिनको वो दीवाने कहाँ जायें
-शकील बदायूँनी

बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है
हवाओं रागिनी गाओ मेरा महबूब आया है
-हसरत जयपुरी

सुहानी चाँदनी रातें हमें सोने नहीं देतीं
तुम्हारे प्यार की बातें हमें सोने नहीं देतीं
-आनंद बख्शी

पवन जब गुनगुनाती है तुम्हारी याद आती है
घटा घनघोर छाती है, तुम्हारी याद  आती है
बर्क़ जब कड़कड़ाती हैं तुम्हारी याद आती है
कि जब बरसात आती है, तुम्हारी याद आती है
-अलबेला खत्री

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
- कुमार विषवास

मेरे कहने का मतलब है कि इस मीटर में लिखने की परम्परा बहुत पुरानी है और मुशायरों में मशहूर है लेकिन आज इस मीटर पर कोई भी लिखता है तो उसे कुमार विष वास से प्रभावित बताया जाता है - ठीक उसी प्रकार जैसे गोवा  के मुख्यमन्त्री की सादगी व आम आदमियत बहुत पुरानी है, लेकिन आजकल इसे झाड़ू वालों की ईज़ाद बताया जा रहा है

जय हिन्द  !
अलबेला खत्री









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