इस से पहले वाली पोस्ट में
मैंने एक सरल सा सवाल पूछा था
अनिल पुसदकर के ढाबे की वाट लगाने का ज़िम्मेदार कौन ? जल्दी बताइये..........
जिसके जवाब हेतु चार घंटे का समय दिया था
लेकिन बधाई के पात्र हैं श्री जी के अवधिया जी जिन्होंने
चार मिनट में ही सही जवाब मेरे मुँह पर मार दिया ...........
उनके पीछे-पीछे ही फ़टाफ़ट बबलीजी, पी डी जी,मुरारी पारीकजी,
पं डी के शर्मा 'वत्स' जी, श्री रूपचंद्र शास्त्रीजी और आख़िर में
श्री राज भाटिया जी ने भी सही जवाब दिया..........
तो विधिविधान अनुसार प्रथम विजेता घोषित हुए
श्री अवधिया जी !
और बाकी सब उप विजेता ...........पुरूस्कार स्वरुप सभी
विजेताओं को चार - चार आलू परांठे और शलगम का सौ सौ
ग्राम अचार तब भेन्ट किया जाएगा जब मैं ढाबा खोलूँगा
_________हा हा हा हा
11 comments:
परांठे तो हम भी खायेंगे भले ही खरीद कर खाना पड़े आपके ढाबे से.
ये लो, हम तो खंख़्वाह ही हार गये.
चलिए अगली बार देख लेंगे.
कहिए तो आपके ढाबे के लिए कोई अच्छा सा मुहूर्त निकाल दें :)
ढाबा खोलना कहा है
vah to aap dhabaa kholene vale hai....zarur aayege aapki bikri karvane...
हमरा नाम कहां है जी? हमरे नाम का नाम तो आपने लिया ही नहीं.. :)
आपके ढाबा खोलने का बेसब्री से इंतजारा है!
p d ji,
dhyaan se dekhiye...
aapka naam hai........
ha ha ha ha
अरे! हमरा नाम तो है, हम ही उसे नहीं पढ़ पाये.. :(
विजेता और उपविजेताओं को बधाई।
ये सलाह हमने नही दी है .. टूट-फूट के ज़िम्मेदार आप ही रहोगे .
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