Monday, June 21, 2010

चुप रह बेवकूफ़, वरना मक्खियाँ आ जायेंगी



रंगलाल चौराहे पर जलेबियाँ बेच रहा था लेकिन चिल्ला रहा था

"आलू ले लो आलू "

नंगलाल बोला बापू ! आलू नहीं जलेबियाँ हैं जलेबियाँ

रंगलाल बोला - चुप रह बेवकूफ़, वरना मक्खियाँ जायेंगी....हा हा हा हा



Friday, June 18, 2010

देश तुम्हें पुकार रहा है देश की बेटी !






झांसे वाली रानियों के राज में

झाँसी वाली रानी को सादर श्रद्धांजलि देते हुए

मेरा कवि मन थोड़ा सा खिन्न है

क्योंकि आज स्थिति भिन्न है

इसके बावजूद

तम का पहरा है

ये दर्द गहरा है

___________काश !

तुम एक बार फिर आती............

तो शायद बात बन जाती

देश तुम्हें पुकार रहा है देश की बेटी !

तुम्हारी जय हो ---


http://albelakhari.blogspot.com/2010/06/blog-post_9158.html







Saturday, June 12, 2010

आ गया बेटा नापसन्दू ! बहुत देर लगादी , मैं तो कब से दूरबीन ले कर बैठा था तेरे इन्तेज़ार में........

मुझे मालूम था कि वो आएगा .......

दबे पाँव

चुपके से

और वो करके चला जाएगा जो उसे आता है ...........

इसलिए मैंने आज जब ये पोस्ट लगाई -


http://albelakhari.blogspot.com/2010/06/1.html


तो चौकन्ना हो कर बैठा था...........

सारी तकनीकी सुविधाओं के साथ उसे पकड़ने के लिए....

मगर हाय रे !

मैं उसे पकड़ भी नहीं सकता ........

क्योंकि वो भी बेचारा कठपुतली है

मैं जान गया हूँ औकात उसकी.......

जा बेटा ! क्षमा किया .........

जा कहदे तेरे आकाओं से कि अलबेला खत्री ने चुनौती दी है

देखता हूँ

http://albelakhari.blogspot.com/2010/06/1.html

इस लिंक पर आने के बाद

लोग मेरा साथ देते हैं या तेरे आका का

जय हिन्दी !

जय हिन्द !!

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Friday, June 11, 2010

देश बचाने के लिए विचार मांगे तो सांप सूंघ गया क्या ?

कहाँ गये वे ढोंगी लोग !

कहाँ गये वे शिखण्डी लोग ?


और कहाँ गये वो गन्दी गन्दी गालियों से मेरा

dahboard मैला करने वाले

तथाकथित भद्र लोग

जो ज़बरदस्ती के ठेकेदार बने फिरते हैं ...............हैं ? क्या कहा ?

समय नहीं मिला ?

पता नहीं चला ?

ऐसी फ़ालतू बात के लिए वक्त नहीं ?



देश बचाने के लिए विचार मांगे तो सांप सूंघ गया क्या ?

अरे आओ !

अलबेला खत्री आपको दावत देता है -

१५००० हिदी ब्लोगर्स में क्या सिर्फ़ -१० लोग ही हैं जिनके पास

देश को बचाने की सोच है,

बाकी क्या केवल तमाशा देखने आते हैं ?


वाह रे वाह !

काम जब हम को पड़ा तो लीडर नहीं मिले

देश पर जब कुछ लिखा तो रीडर नहीं मिले


जय हो !












www.albelakhatri.com

Thursday, June 10, 2010

बेनामी बन्धुओं को ये मालूम होना चाहिए




मेरे मुख्य ब्लॉग albelakhatri.com पर लगातार भद्दी गालियाँ,

गन्दे शब्दों भरी टुच्ची बातें, नंगे नंगे शब्द इस्तेमाल करके टिप्पणियां

करने वाले बेनामी बन्धुओं को ये मालूम होना चाहिए कि शब्द ब्रह्म

है ........शब्द बहुत बड़ी ऊर्जा का स्रोत है और शब्द कभी व्यर्थ नहीं

होता, उसका अर्थ असर करता ही है......लिहाज़ा वे बाज़ आयें और

शब्दों का प्रयोग ज़रा सोच समझ कर करें वरना कुदरत उन्हें ऐसा दण्ड

देगी कि आपके पास रोने के अलावा कोई काम नहीं रहेगा



मैं तो कुछ नहीं करूँगा ......क्योंकि मैं तो ऐसे खुजली वाले कुत्तों की

परवाह ही नहीं करता जो जगह जगह टांग उठाके खम्बे गीले करते

रहते हैं , परन्तु माँ शारदा और उसकी व्यवस्था में कहीं कोई छूट

नहीं है मर्यादा के उलंघन की........


अपनी नहीं तो अपने परिवार की चिन्ता करें और इस आग से ना

खेलें..........मुझसे बात करना है तो मर्द बन कर सामने आइये या

महिला बन कर अपना नाम बताइये - बेनामी की तरह व्यवहार

करने वाले ज़िन्दगी भर बेनामी रहने की सज़ा भोगते हैं



शुभकामना सहित,

-अलबेला खत्री



Wednesday, June 9, 2010

उड़न तश्तरी उर्फ़ समीरलाल जी ! आप वहां से भी कर सकते हो



कल मैंने मेरे मुख्य ब्लॉग albelakhatri.com पर एक पोस्ट लगा

कर तमाम कवि शायरों को सूचित किया था कि यदि उनमें कविता

शायरी लिखने और उसे अच्छे तरीके से सुनाने का हुनर है तो मुम्बई
में

श्री नवनीत भाटिया को तुरन्त सम्पर्क करें


ऐसा मैंने इसलिए कहा क्योंकि कई बार सूचना के अभाव में अनेक

प्रतिभाएं मौका चूक जाती हैं और सूचना का ही लाभ ले कर ऐसे

अवसरवादी लोग आयोजन में शामिल हो कर उसका लाभ उठालेते हैं

जिनमे प्रतिभा नहीं होती, मौलिकता नहीं होती लेकिन समय पर पहुँच

जाने और दूसरों की रचनाएं याद कर कर के उन्हें सुनाने का कौशल्य

पूर्ण रूपेण प्राप्त होता है


एक बात और भी है कि लोग ऐसी सूचनाएं अत्यन्त गुप्त रखते हैं, अपने

दोस्तों और रोजाना मिलने वालों तक को नहीं बताते क्योंकि उन्हें ये

डर होता है कि कहीं उनसे ज़्यादा प्रतिभावान व्यक्ति वहाँ पहुँच गया तो

उनका पत्ता साफ हो जायेगा इसलिए वे गुपचुप तैयारी करते हैं और

सीधे परदे पर ही दिखाई देते हैं जबकि मेरा हिसाब किताब अलग है

मैं तो प्रतिबद्ध हूँ छिपी प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए...........



हो सकता है कोई मुझसे ज़्यादा धमाकेदार कवि पहुँच जाये, और मेरी

जगह उसे ले लिया जाये लेकिन मुझे परवाह नहीं, क्योंकि अच्छे लोग

पहुंचेंगे, मौलिक लोग पहुंचेंगे तो प्रोग्राम अच्छा बनेगा और प्रोग्राम

अच्छा बनेगा तो हिन्दी कवियों का ( मौलिक कवियों की बात कर रहा हूँ )

मान - मानधन भी बढेगा


जब दो कौड़ी के चुट्कुलेबाज़ों और नकलची लोगों को अवसर मिल

सकता है मलाई खाने का और वास्तविक रचनाकार और रचनाएं

दूध तक भी पहुंचे, तो तकलीफ़ होना वाजिब है


खैर उड़नतश्तरी वाले समीरलाल उस आयोजन में फिट बैठते हैं

क्योंकि वे कविता भी करते हैं और हँसा भी सकते हैं इसलिए उन्हें

ऐसे आयोजन में जाना चाहिए, राकेश खंडेलवाल को जाना चाहिए,

ओम पुरोहित कागद को जाना चाहिए, अविनाश वाचस्पति को भी जाना

चाहिए, रूपचंद्र शास्त्री मयंक जी को भी जाना चाहिए, एक महिला

ब्लोगर बहुत अच्छा लिखती हैं नाम मुझे याद नहीं - लेकिन उनके

ब्लॉग पर कुमाऊं नी चेली लिखा रहता है, उन्हें भी जाना चाहिए,

श्यामल सुमन को जाना चाहिए, योगेन्द्र मौदगिल को जाना चाहिए

.......लेकिन मैं किसी को ज़बरदस्ती तो ले जा नहीं सकता, पहले भी

मैंने समय समय पर सूचनाएं दी हैं और इक्का दुक्का लोगों ने लाभ

भी लिया, लेकिन मेरा मन है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग अपनी

प्रतिभा का लाभ लें


समीरलाल उड़न तश्तरी जी का कमेन्ट था कि " यहाँ से तो क्या बात

करें लेकिन मौका अच्छा है " मैं उनसे कहना चाहता हूँ समीरलाल जी !

दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाला व्यक्ति सम्पर्क कर सकता है

अब दूरियां दूरियां कहाँ रहीं ? आप ज़रूर बात करें , उन्हें अपनी किसी

प्रस्तुति का वीडियो भी उपलब्ध कराएं, वे आपको वहां से भी बुला लेंगे

आपको घर बैठे आपकी टिकट वगैरह प्राप्त हो जायेगी - चिन्ता

काहे करते हो ?



मैंने कल जो सूचना दी थी वो ये थी :



http://albelakhari.blogspot.com/2010/06/blog-post_2824.html#comments


हालांकि मेरे इस ईमानदार प्रयास पर भी कुछ डेढ़ हुशियार लोगों ने नापसन्दी

के चटके लगा दिए ताकि हॉट लिस्ट से बाहर रहे और ज़्यादा लोग पढ़ सकें


हँस वाहिनी माँ हिंगलाज आप सब पर अनुकम्पा करे

शुभकामनाएं,

जय हिन्दी

जय हिन्द !



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एक बुढ़िया बचपन में ही मर गई



दुनिया का सबसे छोटा चुटकुला :


एक बुढ़िया

बचपन में ही

मर गई

_____ हो सकता है इस से भी छोटा चुटकुला अथवा इस से भी

मज़ेदार चुटकी किसी के पास हो, पर अपने पास तो नहीं है भैया ..इसी से

काम चलाओ क्योंकि महंगाई का ज़माना है हर चीज़ आजकल छोटी

होती जा रही है दुकानों पर मिलने वाले चाय के कप से लेकर गन्ने के

जूस के गिलास ही देख लो.........हा हा हा हा





Tuesday, June 8, 2010

जिसके कारण मैं इसकी कुछ परवाह नहीं करता...........




बहाद्दुर आदमी

जिन दिनों अपने जिस्म पर गहरे घाव नहीं खाता,

वह समझता है कि वे दिन व्यर्थ नष्ट हो गये.........


- तिरुवल्लुवर



मैं पानी के भीषण प्रवाह की तरह अत्यन्त भयंकर अवसरों पर भी

आगे ही बढ़ता हूँमानो मेरे लिए इस जान के अलावा

कोई और जान भी है जिसके कारण मैं इसकी कुछ परवाह नहीं करता

या मुझे इस जान के साथ दुश्मनी है


- मुतनब्बी





Monday, June 7, 2010

अलबेला खत्री पर एक नापसंद का चटका लगादे ना भाई !





फोन करके धमकाने वाले 78

फोन पर समझाने वाले 37

फोन पर पुचकारने वाले 12

फोन पर बधाई और शाबासी देने वाले 169

__________वाह रे हिन्दी ब्लोगिंग !



स्तनों का जोड़ा 1

देखने वाले 10,000 से भी ज़्यादा

ब्लॉग पर स्तन दिखाने वाली महिला

नग्नता का विरोध करने वाला पुरूष

____उस पुरूष का विरोध करने वाले भी पुरूष ?

____वाह रे हिन्दी ब्लोगिंग !



स्तन दिखाऊ ब्लॉग ने टेम्पलेट बदल डाला

एग्रीग्रेटर ने तल्ख़ पोस्ट का शीर्षक बदल डाला

भाड़े के नापसन्दियों ने उत्साह उत्साह में

अलबेला खत्री के बजाय

रस्किन के वचन पर नापसंद का चटका लगा डाला


_____वाह रे हिन्दी ब्लोगिंग !



सारा ज़ोर,

सब तरह का ज़ोर

सभी विरोधियों का ज़ोर लगा कर भी नापसंद हैं कुल चार

जब कि भद्र और सुसंस्कृत नारी - लेखिकाएं हैं कई हज़ार

इसका अर्थ

जब मैंने लगाया तो समझ में ये आया

उनकी अपनी मण्डली में फूट है

सभी के मन में नफ़रत अखूट है

कहने को रिश्ता दिखता अटूट है

पर मुझे भी मिल रही खुली छूट है


समझ नहीं पा रहे अब भी अक्ल के अन्धे

कि मेरे इरादे नितान्त साफ़ हैं, नहीं हैं गन्दे

वरना चार नहीं,

अब तक चार सौ चटके लग चुके होते,

क्योंकि चालीस से ज़्यादा तो नारी के सदस्य ही हैं भाई !

इसके बावजूद फोन पर फोन किये जा रहे हैं

अलबेला खत्री पर एक नापसंद का चटका लगादे ना भाई !

लगाने वालों का भीषण टोटा है

अब बाप ही निर्णय करें

कौन खरा है और कौन खोटा है


____वाह रे हिन्दी ब्लोगिंग !

तू भी कमाल है, कमाल है, कमाल है !

बस एक पसन्द के चटके का सवाल है..............


@@@@@@@ कुछ समझ नहीं आया हो तो पाठकगण

कृपया यह लिंक देख लें ...सब समझ में आ जाएगा -


http://albelakhari.blogspot.com/2010/06/blog-post_9018.html#comments


जय हिंगलाज !
जय हिन्द !

-अलबेला खत्री

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