Friday, November 20, 2009

जब सरपंच बन गया नंगलाल का बाप रंगलाल




रंगलाल चुनाव में खड़े हो गए और जब जीत कर गाँव के सरपंच

बन गए.....तो अपने बेटे नंगलाल से कहा- देखो बेटा ! अब मैं

सरपंच बन गया हूँ तो गाँव में कोई भी दुखी नहीं रहना चाहिए

क्या अपना, क्या पराया, क्या आदमी , क्या पशु-पक्षी...सभी ख़ुश

और नीडर होकर रहें, ये हमारी ज़िम्मेदारी है


नंगलाल - आप चिन्ता मत करो पापा ! मैं सबका ध्यान रखूँगा


सर्दियों का मौसम थाकड़ाके की ठण्ड पड़ रही थीरंगलाल को

दूर कहीं कुत्तों के कूकने की आवाज़ सुनाई दी तो उन्होंने नंगलाल

से कहा- जाओ बेटा ! पता करके आओ.....कुत्ते क्यों रो रहे हैं ....?



नंगलाल बाहर गया और थोड़ी देर बाद आकर बताया कि कुत्ते

बेचारे फ़रियाद कर रहे हैं और ठण्ड से बचने के लिए कोई छत

का सहारा मांग रहे हैंरंगलाल ने तुरन्त एक लाख रूपये देकर

कहा कि कल की कल उनके लिए रैन बसेरा बन जाना चाहिए ...

अगले दिन फ़िर कुत्ते रोने लगे, फिर नंगला को भेजा गया तो

उसने बताया कि छत तो उनको पसंद आई लेकिन सर्दी ज़्यादा है

कुछ ओढ़ने को भी चाहिए .......रंगलाल ने पचास हज़ार दिए और

बोले- सभी के लिए कल की कल कम्बल और रजाइयों का प्रबंध

हो जाना चाहिए



जब तीसरे दिन भी कुत्तों का रोना बंद नहीं हुआ तो रंगलाल ने

पूछा - अब क्या है ? नंगलाल बोला- पापा ! बहुत बेशर्म कुत्ते हैं .......

कहते हैं जब इतनी मेहरबानी की है तो थोड़ी और करदो ..हमारे

भोजन का भी प्रबन्ध कर दो........रंगलाल को दया गई.........

- सही कहते हैं बेटा वो ! क्योंकि सरपंच होने के नाते अपनी

रियाया की हर चीज का ख्याल हमें ही रखना है .....ये लो दो लाख

और कल से गाँव के सभी कुत्तों का दोनों समय का खाना..

हमारी ओर से..नंगलाल ने रूपये लिए और हाँ कर के चला गया



पांचवें दिन रंगलाल निश्चिन्त थे कि आज सभी कुत्ते आराम से

सोयेंगे और हम भी....लेकिन जैसे ही सोने के लिए बिस्तर पर

गए कुत्तों ने फिर कूकना आरम्भ कर दियाअब रंगलाल को

गुस्सा गया...उन्होंने उठाई बन्दूक और बोले- हरामखोरों ने

समझ क्या रखा है ? एक को भी नहीं छोडूंगा..। सब कुछ तो

दे दिया , अब और क्या चाहिए ?



नंगलाल ने कहा - पापा गुस्सा मत करो, आज वे कुछ मांग नहीं

रहे हैं,......... बल्कि आज तो वे आपका धन्यवाद अदा कर रहे हैं

और भगवान् से दुआ कर रहे हैं कि आप सदा ख़ुश रहें..........


इस तरह कुत्ते भोंकते  ही रहे, रंगलाल देता ही गया और

नंगलाल लेता ही गया


प्यारे पाठक  मित्रो


हमारे लोकतंत्र में रंगलाल कौन है,

नंगलाल कौन है और कुत्ते कौन हैं ?

आपके जवाब की प्रतीक्षा रहेगी

-अलबेला खत्री

kavi,sammelan,kavita,hasya,veerras,rashtra,hindi,
gujarati, albela, sex,sexy,hot,teen,hasyakavi,shayri,free,funny,music,india,narendra,modi,khatri,poem,poetry,
 


8 comments:

Unknown said...

हमारा देश भारत ही रंगलाल है, भ्रष्ट नेता नंगलाल हैं और जनता कुत्ते हैं।

डॉ टी एस दराल said...

लगता है अवधिया जी फ़िर बाज़ी मार ले गए।
अब क्या कहें।
कहानी में संदेश है।

राज भाटिय़ा said...

हम ही रंग लाल है क्योकि जनता ही सरकार है ओर यह नेता नंग लाल है, ओर हम फ़िर से दे कर भी कुते ही है, रोने के सिवा कटना हम भुल गये है, अगर सब मिल कर इन्हे काटे तो यह विचोलिये नंग लाल खत्म हो जाये

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

नंगलाल प्रजा तो नही हो सकती!
काश् ये दलाली की प्रथा
हमारे देश से खत्म हो पाती!

दीपक 'मशाल' said...

Awadhiya ji ki baat se sahmat hoon...
Jai Hind...

VIJAY ARORA said...

टैक्स देने वाली जनता रंग लाल है
नेता नंग लाल हैं भारत के
कुत्ते है यहाँ की अर्थव्यवस्था

शरद कोकास said...

"लेकिन हम आदमी है कुते नहीं / आओ उठे दौडे और छीन ले उनके हाथों से वे पत्थर / हमारे हाथ अभी बाकी है ..हमारे हाथ अभी बाकी है"
कुछ नहीं भैया अपनी कविता याद आ गई और क्या !!

Urmi said...

बहुत ही दिलचस्प कहानी लगी! यही हकीकत है हमारे देश की जिसे आपने बखूबी प्रस्तुत किया है! रंगलाल और कोई नहीं बल्कि हमारा देश है, उन सब फरेब नेता है जो जनता से झूठे वादे करते हैं और उनका पैसा लुटते हैं वाही हैं नंगलाल और कुत्ते कहा जा रहा है सारे जनता को !

Labels

Followers

Powered By Blogger

Blog Archive