Sunday, July 18, 2010

सिर्फ़ दिखलाने के लिए - और एकदम उपयोगिता रहित




यश
वह है जो लोग-लुगाई हमारे विषय में सोचते हैं ,

चरित्र वह है जो ईश्वर और देवता हमारे विषय में जानते हैं


-पेन



बिना चरित्र के ज्ञान शीशे की आँख की तरह है -

सिर्फ़ दिखलाने के लिए - और एकदम उपयोगिता रहित


-स्विनोक





3 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

यह आदर्श वाक्य सहेज लिए हैं!

honesty project democracy said...

बिना चरित्र के ज्ञान शीशे की आँख की तरह है -

सिर्फ़ दिखलाने के लिए - और एकदम उपयोगिता रहित

सबसे उम्दा विचार जिसपर अमल की आज सख्त जरूरत है ,चारित्रिक पतन ही सभी दुखों का कारण है |

डॉ टी एस दराल said...

सद्विचार ।
याद रखने योग्य ।

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