कहाँ गये वे शिखण्डी लोग ?
और कहाँ गये वो गन्दी गन्दी गालियों से मेरा
dahboard मैला करने वाले
तथाकथित भद्र लोग
जो ज़बरदस्ती के ठेकेदार बने फिरते हैं ...............हैं ? क्या कहा ?
समय नहीं मिला ?
पता नहीं चला ?
ऐसी फ़ालतू बात के लिए वक्त नहीं ?
देश बचाने के लिए विचार मांगे तो सांप सूंघ गया क्या ?
अरे आओ !
अलबेला खत्री आपको दावत देता है -
१५००० हिदी ब्लोगर्स में क्या सिर्फ़ ८-१० लोग ही हैं जिनके पास
देश को बचाने की सोच है,
बाकी क्या केवल तमाशा देखने आते हैं ?
वाह रे वाह !
काम जब हम को पड़ा तो लीडर नहीं मिले
देश पर जब कुछ लिखा तो रीडर नहीं मिले
जय हो !
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9 comments:
सच तो यह है कि सब बातें तो कर लेते हैं पर जब कुछ करने कि बारी आती है तो नहीं कर पाते...और फिर यही सोच हावी रहती है कि अकेला चना क्या भाद फोड लेगा? देश को बचाना है तो सबसे पहले स्वच्छ राजनीति करनी होगी...जो कि असंभव सी बात है....भेशाताचार को हटाना होगा जिसका कि हर कदम पर आपको इसका सामना करना पड़ता है...
@sangeeta swaroop ji !
main aapki baat ka swagat karta hoon lekin ye ghadi nirashaa ki nahin, parakram dikhaane ki hai....
akela chana bhaad nahin fod sakta, ye bahaana hai =
shuruaat me akela hi hota hai aadmi.......
aur kaam karne waala akela hi hota hai - baaki to samarthan aur sahyog karte hain jisse kaam poora hota hai,
aise hazaar-hazaar udaaharan hain hamaare saamne jab munh se barbas hi nikal padta hai ki
main akela hi chala tha.......
aapke vichaar ke liye kritagya hoon
-albela
nice
ये सही है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता लेकिन भडभूजे की आँख तो फोड़ सकता है ...बस ऐसे ही भडभूजे टाईप भ्रष्टाचारियों की आँखें फोड़ते चलो...मंजिल अपने आप मिल जाएगी
अलबेला जी, सही पहल किया है आपने स्वागत है..जहाँ तक मेरा विचार है आपके पहले पोस्ट में पूछे गये प्रश्न का उत्तर दूसरे पोस्ट तक मिल गया, आप खुद ही देखो उस देश में अब कैसी क्रांति की ज़रूरत है जहाँ पर लोग कहने में भी कतराते है की कैसे सुधार हो सकता है, वैसे इस बारे में मेरा एक और मत है कि इससे कुछ ज़्यादा फ़र्क नही पड़ेगा, किसी ना किसी को आगे बढ़ कर पहल करना होता है, हम दस सुंदर सुंदर बात बना कर लिख भी दिए तो क्या होगा असली बात तो तब होगी जब इस अभियान में सब मिल कर काम करेंगे ..विचार छोटे ही हो पर पहल अच्छा हो तो ज़्यादा अच्छा होता बूँद बूँद से घड़ा बनता है...मेरा मानना है की विचार के साथ साथ आप यह भी पूछे की अपने व्यक्तिगत लेवल पर लोग क्या कर रहे है और अगर कोई सार्वजनिक कदम उठाया जाय तो लोग कितनी सार्थकता से साथ देंगे....
देश को हमारे और आप जैसे लोगो की सच में बहुत ज़रूरत है पर संगठित हो कर काम करना पड़ेगा..राजनीति ही हर बात का हाल नही हमारे देश के लोग खुद ज़िम्मेदार है ज़्यादातर लोग यही सोचते है की यार बस अपनी चलती रहें कितना दिन दुनिया में रहना है वो क्या सोचेंगे देश के और लोगों के बारे में, हमें सबसे पहले उन्हे नींद से जगाना होगा,अब कैसे इसके तरीके व्यक्तिगत लेवल पर अलग अलग हो सकते है,सबको शिक्षित करना और उन्हे आत्मनिर्भर बनाना ही एक रास्ता है जिससे बाकी सारी समस्याएँ ख़त्म हो पाएगी भारत की भावी पीढ़ी को समझाना होगा की जो दशा चल रही है उसके बाद में क्या परिणाम होगे साथ ही साथ लोकतंत्र में तो बहुत ही अधिक परिवर्तन की ज़रूरत है क्योंकि अगर राजनीति सही हो जाए तो काफ़ी कुछ आसान हो सकता है..
आपके इस बेहतरीन विचार पर नतमस्तक हूँ...
सस्नेह
विनोद पांडेय
चाँद अकेला तारे गायब
रातों रात नजारे गायब
यूं तो थे हमदर्द हजारों
वक़्त पडा तो सारे गायब
महफ़िल में तो बेहद रौनक
हम किस्मत के मारे गायब
संदेशों की आवाजाही
कैसे हो हरकारे गायब
इस नैया का कौन खिवैया
लहरें तेज़ किनारे गायब
मनमोहन ने मोहा मन को
अब मनमोहक नारे गायब
बलिदानों की बारी आयी
जितने नाम पुकारे गायब
"भरत" तू कर्मवीर बन
वचन-वीर तो सारे गायब
आप बहुत ही अच्छा काम करने की सोच रहें हैं, हम आपके हर अच्छी सोच को जमीनी स्तर पर उतारने के लिए आपके साथ हैं हरदम-हरपल ,आप आवाज लगा कर देखे हम सूरत भी पहुँच जायेंगे आपका साथ देने के लिए | कोई भी अच्छा काम करना मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं !
सत्य वचन
देश बचाने के लिए सर्वप्रथम देशप्रेम की बातें करना बंद कर ईमानदारी से देशप्रेम को क्रियाशीलता में लाना होगा... अभी तो ये देखा जा रहा है की जो देश प्रेम की बातें जितनी अधिक कर रहा है वो उतना अधिक देश की कब्र खोद रहा है...
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