कल मैंने मेरे मुख्य ब्लॉग albelakhatri.com पर एक पोस्ट लगा
कर तमाम कवि शायरों को सूचित किया था कि यदि उनमें कविता
व शायरी लिखने और उसे अच्छे तरीके से सुनाने का हुनर है तो मुम्बई में
श्री नवनीत भाटिया को तुरन्त सम्पर्क करें ।
ऐसा मैंने इसलिए कहा क्योंकि कई बार सूचना के अभाव में अनेक
प्रतिभाएं मौका चूक जाती हैं और सूचना का ही लाभ ले कर ऐसे
अवसरवादी लोग आयोजन में शामिल हो कर उसका लाभ उठालेते हैं
जिनमे प्रतिभा नहीं होती, मौलिकता नहीं होती लेकिन समय पर पहुँच
जाने और दूसरों की रचनाएं याद कर कर के उन्हें सुनाने का कौशल्य
पूर्ण रूपेण प्राप्त होता है ।
एक बात और भी है कि लोग ऐसी सूचनाएं अत्यन्त गुप्त रखते हैं, अपने
दोस्तों और रोजाना मिलने वालों तक को नहीं बताते क्योंकि उन्हें ये
डर होता है कि कहीं उनसे ज़्यादा प्रतिभावान व्यक्ति वहाँ पहुँच गया तो
उनका पत्ता साफ हो जायेगा इसलिए वे गुपचुप तैयारी करते हैं और
सीधे परदे पर ही दिखाई देते हैं । जबकि मेरा हिसाब किताब अलग है
मैं तो प्रतिबद्ध हूँ छिपी प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए...........
हो सकता है कोई मुझसे ज़्यादा धमाकेदार कवि पहुँच जाये, और मेरी
जगह उसे ले लिया जाये लेकिन मुझे परवाह नहीं, क्योंकि अच्छे लोग
पहुंचेंगे, मौलिक लोग पहुंचेंगे तो प्रोग्राम अच्छा बनेगा और प्रोग्राम
अच्छा बनेगा तो हिन्दी कवियों का ( मौलिक कवियों की बात कर रहा हूँ )
मान - मानधन भी बढेगा ।
जब दो कौड़ी के चुट्कुलेबाज़ों और नकलची लोगों को अवसर मिल
सकता है मलाई खाने का और वास्तविक रचनाकार और रचनाएं
दूध तक भी न पहुंचे, तो तकलीफ़ होना वाजिब है ।
खैर उड़नतश्तरी वाले समीरलाल उस आयोजन में फिट बैठते हैं ।
क्योंकि वे कविता भी करते हैं और हँसा भी सकते हैं । इसलिए उन्हें
ऐसे आयोजन में जाना चाहिए, राकेश खंडेलवाल को जाना चाहिए,
ओम पुरोहित कागद को जाना चाहिए, अविनाश वाचस्पति को भी जाना
चाहिए, रूपचंद्र शास्त्री मयंक जी को भी जाना चाहिए, एक महिला
ब्लोगर बहुत अच्छा लिखती हैं नाम मुझे याद नहीं - लेकिन उनके
ब्लॉग पर कुमाऊं नी चेली लिखा रहता है, उन्हें भी जाना चाहिए,
श्यामल सुमन को जाना चाहिए, योगेन्द्र मौदगिल को जाना चाहिए
.......लेकिन मैं किसी को ज़बरदस्ती तो ले जा नहीं सकता, पहले भी
मैंने समय समय पर सूचनाएं दी हैं और इक्का दुक्का लोगों ने लाभ
भी लिया, लेकिन मेरा मन है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग अपनी
प्रतिभा का लाभ लें ।
समीरलाल उड़न तश्तरी जी का कमेन्ट था कि " यहाँ से तो क्या बात
करें लेकिन मौका अच्छा है " मैं उनसे कहना चाहता हूँ समीरलाल जी !
दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाला व्यक्ति सम्पर्क कर सकता है ।
अब दूरियां दूरियां कहाँ रहीं ? आप ज़रूर बात करें , उन्हें अपनी किसी
प्रस्तुति का वीडियो भी उपलब्ध कराएं, वे आपको वहां से भी बुला लेंगे
आपको घर बैठे आपकी टिकट वगैरह प्राप्त हो जायेगी - चिन्ता
काहे करते हो ?
मैंने कल जो सूचना दी थी वो ये थी :
http://albelakhari.blogspot.com/2010/06/blog-post_2824.html#comments
हालांकि मेरे इस ईमानदार प्रयास पर भी कुछ डेढ़ हुशियार लोगों ने नापसन्दी
के चटके लगा दिए ताकि हॉट लिस्ट से बाहर रहे और ज़्यादा लोग न पढ़ सकें
हँस वाहिनी माँ हिंगलाज आप सब पर अनुकम्पा करे
शुभकामनाएं,
जय हिन्दी
जय हिन्द !

www.albelakhatri.com
12 comments:
प्रोत्साहन मिला..कोशिश करते हैं बात करने की.
आप सारे नुस्ख़े यूं लुटा कर अपनी विरादरी में दुश्मन पैदा करने का रिस्क ले रहे है।...
@ काजल कुमार जी !
बस ...........इत्ता सा फ़र्क है मेरे और मेरी बिरादरी के अन्य लोगों के बीच ...मैं हकदार को उसका हक़ दिलाने की कोशिश करता हूँ और लोग लोगों का हक़ लूट लेने में हुशियारी समझते हैं
अभी कुछ दिन पहले की बात है . कर्णाटक के एक शहर में कवि सम्मेलन की टीम बन रही थी तो आयोजक मण्डल ने संयोजक से कहा कि आप अलबेला खत्री को ज़रूर बुलाना तो संयोजक का जवाब था " कौन अलबेला खत्री ?" वो..लम्बू.............अरे महा फ़ालतू है, मैंने तो कभी उसे मंच पर जमते हुए नहीं देखा .
तब आयोजक ने कहा - तुम जैसों को तो चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए, अरे तुम्हें इस शहर में पहली बार लाया ही अलबेला खत्री था और इस बार भी अलबेला खत्री ने ही तुम्हारा नाम दिया है ये कह कर कि " हालांकि मेरी उस से आज कल बनती नहीं है, लेकिन कवि अच्छा है उसे भी बुला लो"
हा हा हा हा .,................ये मज़े हैं काजल जी..............
अलबेला जी, आपने मेरा नाम ही नहीं लिया??? :-( मेरा नाम तो सबसे ऊपर आना चाहिए था!!!! :-) ;-) ;-) ;-)
आप हिन्दी ब्लॉगजगत के लिए बढ़िया काम कर रहे हैं...
बिल्कुल सही कहा अलबेला जी, जो थोड़ा आगे बढ़ते हैं वे टांग खींचने से बाज नहीं आते।
कविता तो हम भी कर लेते हैं, पर पता नहीं कैसी करते हैं, आकलन तो कोई आलोचक ही कर सकता है, कि हमारी कविता की कोई वैल्यू है या ऐसे ही फ़ालतू है।
aap ki jankari fir hamare liye kargar hogi
बहुत बहुत धन्यवाद
आपके प्रयासों की प्रशंशा करता हूँ.
लगे रहो भाई ।
समाज सेवा भी ज़रूरी है ।
अलबेला जी आप मेरे मित्र हैं तो मैं क्यों बता करूँ?
--
मेरी पैरवी करने के लिए आप पर्याप्त हैं जी!
@ roopchandra shaastri ji !
prabhu baat toh main kar loonga.....lekin prastuti toh aap ko hi karni padegi isliye aapka unse sampark zaroori hai
jis prakar purohit rishta toh tai kar dega lekin fere toh dulhe ko hi lene padte hain ..ha ha ha ha
albela ji...mera naaam bhool gae...:[
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