न तो जीना सरल है न मरना सरल
आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल
कल नयी दिल्ली स्टेशन पे दो जन मरे
रेलवे ने बताया कि ज़बरन मरे
अब मरे दो या चाहे दो दर्जन मरे
ममतामाई की आँखों में आये न जल
आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल
तप रहा है गगन, तप रही है धरा
हर कोई कह रहा मैं मरा, मैं मरा
प्यास पंछी की कोई बुझादे ज़रा
चोंच से ज़्यादा सूखे हैं बस्ती के नल
आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल
एक अफज़ल गुरू ही नहीं है जनाब
जेलों पर है हज़ारों दरिन्दों का दाब
ख़ूब खाते हैं बिरयानी, पी पी शराब
हँस रहे हैं कसाब, रो रहे उज्ज्वल
आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल
कुर्सी के कागलों ने जहाँ चोंच डाली
देह जनता की पूरी वहां नोंच डाली
सत्य अहिंसा की शब्दावली पोंछ डाली
मखमलों पे मले जा रहे अपना मल
आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल
www.albelakhatri.com
12 comments:
कल नयी दिल्ली स्टेशन पे दो जन मरे
रेलवे ने बताया कि ज़बरन मरे
अब मरे दो या चाहे दो दर्जन मरे
ममतामाई की आँखों में आये न जल
आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल
........waah, bahut khub, seedha chot.aise parivesh me kyaa gajal likhen.
bahut khoob likha
khatriji
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
ममतामाई की आँखों में आये न जल
आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल
अलबेला जी
यह रचना जितना दर्द समेटे हुए है जिसका बयाँ नही किया जा सकता.
ममता (नाम की) तक पहुँचे ये दर्द !!
कड़वी सच्चाई पर हमला करती प्रसतुति
अल्बेला जी इस अल्बेली कविता में हम आपके साथ हैं- बल, थल, चल, पल, शगल जैसे तुक शेष रहते हैं। कुछ और मनोरंजक पर नोचने वाली बंदिशों की संभावना बाकी रहती है।
आज बहुत गहरी बातें लिखी हैं अलबेला जी । सही है।
जय हो महाप्रभू!
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बढ़िया पैरोडी है!
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अच्छा होता कि पैरोडी के साथ इस नाचीज का भी नाम या लिंक दे देते!
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waah Albela sirji...is baar to uttejit kar diyaa aapne...seedhi dil pe lagi...
सत्यमेव जयते ...........सदा सदा जयते !!
जब सरकार ६२ सालो मै कुछ नही कर सकी तो, बहाने तो बनायेगी ना,रेल गाडी का मेरे साथ भी यही हादसा हुआ था, आनी कहा है ओर आ कहा रही है... फ़िर लोगो मै हफ़रा तफ़री तो मचेगी ही ना
देख देश का हाल
नयन हमारे हैँ सजल।
सरकारी स्कूल मेँ पढ़े
अब कैसे लिखेँ ग़ज़ल॥
त्याग तप की मूरत
कभी नेता जी थे एक।
अब तो यहां उग रही
नेताओँ की फसल॥
नेता अभिनेता चौर
एक सरीसे लगते
ना जाने कोन असल
है इन मेँ कौन नकल॥
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बढ़िया और अलबेले व्यंग्यबाण चलाए हैँ भाई अलबेला जी। बधाई हो!
आज बहुत गहरी बातें लिखी हैं अलबेला जी ।
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