श्रद्धेय डॉ रूपचंद्र शास्त्री जी !
नमस्कार
मुझे एक आईडिया आ रहा है और बहुत ज़ोर से आ रहा है
इसलिए रोक नहीं पा रहा हूँ , तुरन्त अभिव्यक्त कर रहा हूँ कि
क्यों न हम एक खेल खेलें..............
आप भी रोज़ रोज़ नया काव्य सृजन करते हैं और मुझे भी भ्रम है
कि मैं किसी भी विधा में तुरन्त कविता अथवा प्रतिकविता कर
सकता हूँ इसलिए यदि ऐसा हो कि आप जो कविता पोस्ट करते
हैं मैं उसी मीटर में उसकी पैरोडी बनाऊं या उसी को अपने अन्दाज़
में आगे बढ़ाऊं तो मुझे लगता है पाठकों को खूब मज़ा आएगा ।
चूँकि आप गम्भीरता और ज़िम्मेदारी से लिखते हैं और मैं उसी
रचना को हास्य व्यंग्य के तेवर में प्रस्तुत करूँगा इसलिए हम
दोनों जब स्पर्धा और मजेदार स्पर्धा करेंगे तो अन्य भी जागेंगे,
जुड़ेंगे अपने जौहर दिखायेंगे पसन्द करेंगे, टिपियायेंगे और
अपन दोनों खूब trp पायेंगे .
जब सारा माहौल ख़ुशनुमा होजायेगा तो इन दिनों हिन्दी ब्लोगिंग
में नाच रहा वैमनस्य का भूत अपने आप भाग जाएगा ।
कहिये क्या विचार है डॉ रूपचंद्र शास्री मयंक जी ?
कितने देने वाले हैं आप इस पोस्ट के अंक जी ?
पाठकों एवं मित्रों की प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है.........
www.albelakhatri.com
15 comments:
आपने शास्त्री जी से विचार मांगा है इसलिये मै चुप रहूँगा.
अपन दोनों खूब trp पायेंगे
इस बात में तो पूरी सच्चाई है :-)
वैसे एक बात कहूँ अल्बेला जी, आपमें मारवाडियों वाले पूरे गुण हैं :-)
ये तो शास्त्री जी ही बता सकते हैं....हम लोग तो बस काव्य का आनंद उठा सकते हैं
@ मित्रों की प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है...
वाह ये भी कोई बात हुई
सिर्फ़ शास्त्री जी को यहां लाएंगे
मेरी कविता की परोडी नहीं बनाएंगे
तो हम ब्लॉगिंग छोड़ देंगे
आपसे वर्षों पुराना रिश्ता तोड़ देंगे
वाह क्या सुपर आइडिया है!
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मित्रधर्म निभाते हुए तो 10 में से पूरे 100 अंक दे रहा हूँ!
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वैसे और लोग भी 10 में से 10 अंक ही देंगे!
मित्रवर मनोज कुमार जी का ध्यान रखिएगा!
बहुत ही बढ़िया...धमाकेदार ....धाँसू टाईप आईडिया
bhaiya ham to dono ka hi intzar karenge....
What an !dea, sirji !!
मैं भी चुप रहूंगा
और कुछ नहीं कहूंगा
कि नंबरों को नोट से
बदलवाने के लिए आप
दिल्ली ही आयेंगे तब
जनाब हमसे बचकर
कहां जायेंगे हम
वहीं पर एम वर्मा जी को
भी बुला लायेंगे।
मतलब श्री रूप चंद्र शास्त्री जी की गंभीर चर्चा का आप मजाक बनायेंगे..!
...हा हा हा ..अच्छी शुरुआत है..
पोस्ट की प्रतीक्षा में..
Swagat hai...shuru kijiye...is bahaane shayd ham bhi kuch man ki aag ko thanda krlen...
क्या हुआ खत्री जी!
मेरी तो रोज ही नई रचना आ जाती है
मगर आपकी पैरोडी नहीं आई अभी तक!
lajwaab likha hai
.धमाकेदार
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