Friday, November 6, 2009

जी हाँ ! हम जी रहे हैं एक funny मुल्क में..............



बधाई
हो !



हम जी रहे हैं एक funny मुल्क में

जहाँ पिज़्ज़ा हमेशा समय पर पहुँचता है , लेकिन पुलिस ,

एम्ब्युलेंस और फायर ब्रिगेड हमेशा लेट होते हैं



हम जी रहे हैं एक funny मुल्क में

जहाँ कार लोन 5% पर मिल जाता है , लेकिन एज्युकेशन लोन 12%

और होम लोन 9% पर लेना पड़ता है



हम जी रहे हैं एक funny मुल्क में

जब चार लोग तभी एक साथ शान्ति से बैठते हैं जब पाँचवां मर जाए



हम जी रहे हैं एक funny मुल्क में

जहाँ आपसी मार पीट करने वालों को जेल जाना पड़ता है और

कत्लेआम करने वाले राज करते हैं



हम जी रहे हैं एक funny मुल्क में
जहाँ सालों की कड़ी मेहनत के बाद डिग्रियां पाने वाले सन्त्री की नौकरी

के लिए मारे-मारे फिरते हैं और अंगूठा छाप मुख्य मन्त्री बन जाते हैं


___________शर्म नाक

___________दुखद

___________लेकिन सत्य .............


- अलबेला खत्री

6 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

आदरणीय शास्त्री जी की कविता की ये चार लाइने दिल में रच बस गई है :

मँहगाई की मार लोग झेल रहे हैं,

नेता घर में बैठे दण्ड पेल रहे हैं,

सिंहासन पर बैठी नही लाश चाहिए।

गधों को मिठाई नही घास चाहिए।।

शिवम् मिश्रा said...

सत्य वचन महाराज !!

Murari Pareek said...

हम जी रहे हैं एक funny मुल्क में

जब चार लोग तभी एक साथ शान्ति से बैठते हैं जब पाँचवां मर जाए ।


bahut sundar abhivyakti albelaaji!!! sachchaai!!!! kadwi sachaai !!!!

डॉ टी एस दराल said...

जहाँ पिज़्ज़ा हमेशा समय पर पहुँचता है ,

और मंगाने वाला सोचता है की समय पर न ही आये तो अच्छा.
क्या बात है खत्री जी. अच्छा व्यंग.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

वाह्! कमाल लिखा है आपने! जिसकी हरेक पंक्ति में एक सच......

Anil Pusadkar said...

सत्य वचन महाराज्।

अलबेला बाबा ज़िंदाबाद्।

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