Wednesday, October 28, 2009

हम सिगरेट के आदी हैं , हर दम सुलगाई रहती है


तर्ज़ : होंटों पे सचाई रहती है

फ़िल्म : जिस देश में गंगा बहती है

होंटों से लगायी रहती है ,ऊँगली में दबाई रहती है

हम सिगरेट के आदी हैं

हम सिगरेट के आदी हैं , हर दम सुलगाई रहती है



सुट्टा जो हमारा होता है

वो देखन वारा होता है

जब छोड़ते हैं हम बाहर तो

धुंए का गुब्बारा होता है ,धुंए का गुब्बारा होता है

दाँतों पे हमेशा पीलापन

आँखों में ललाई रहती है

हम सिगरेट ..................................................................



कुछ लोग जो ज़्यादा ठांसते हैं

वो जब देखो तब खांसते हैं

पग कांपते हैं, हाथ कांपते हैं

साँस लेते हुए भी हाँफते हैं , साँस लेते हुए भी हाँफते हैं

सीने में दमे की बीमारी

हाथों में दवाई रहती है

हम सिगरेट ...................................................................



सस्ती का भी स्वाद लिया हमने

मंहगी को भी अपनाया हमने

तन फूँक तमाशा देखा है

क्या इसके सिवा पाया हमने, क्या इसके सिवा पाया हमने

साँसों में ऐसी दुर्गन्ध कि

दूर दूर लुगाई रहती है

हम सिगरेट ......................................................................


__>>>>>>तम्बाकू विरोधी दिवस <<<<<<<<<__

6 comments:

Unknown said...

"सीने में दमे की बीमारी

हाथों में दवाई रहती है"


मजेदार पैरोडी!

डॉ टी एस दराल said...

सिगरेट छोड़ना है इतना आसान
ज़रा हमें ही देखो
हम जाने कितनी बार कर चुके है ये काम

शानदार कॉमेडी.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

bahut hi vyangaatmak shaili mein cigarrette ko achcha describe kiya hai aapne.....


dhanyawaad........

निर्मला कपिला said...

क्या बात है अलबेला जी आप तो छा गये बहुत बहुत बधाई

शिवम् मिश्रा said...

बहुत खूब ! मजेदार पैरोडी !

विनोद कुमार पांडेय said...

मजेदार... बहुत सुंदर प्रस्तुत किया आपने एक संदेश देती हुई हास्य व्यंग की कविता..मज़ेदार पैरोडी गीत..बहुत बढ़िया लगा..धन्यवाद

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