एक विधवा के चार बच्चे
एक विधुर के चार बच्चे
दोनों ने आपस में शादी कर ली
फ़िर हो गए चार बच्चे
कुल बारह बच्चे
बहुत अच्छे
एक दिन पत्नी ने पति को फोन किया
ऐ जी सुनते हो ..........
जल्दी से घर पे आओ
घर को गृहयुद्ध से बचाओ
क्योंकि आप वहाँ
ऑफिस में कलम घसीट रहे हैं
और यहाँ
तुम्हारे बच्चे और मेरे बच्चे मिलकर
हमारे बच्चों को पीट रहे हैं ___हा हा हा हा
एक विधुर के चार बच्चे
दोनों ने आपस में शादी कर ली
फ़िर हो गए चार बच्चे
कुल बारह बच्चे
बहुत अच्छे
एक दिन पत्नी ने पति को फोन किया
ऐ जी सुनते हो ..........
जल्दी से घर पे आओ
घर को गृहयुद्ध से बचाओ
क्योंकि आप वहाँ
ऑफिस में कलम घसीट रहे हैं
और यहाँ
तुम्हारे बच्चे और मेरे बच्चे मिलकर
हमारे बच्चों को पीट रहे हैं ___हा हा हा हा
10 comments:
मजा आ गया ...
धन्यवाद अलबेला जी |
खत्री साहब, हमारे देश में ये जो मर काट मची है वह भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है : अरुण यह मधुमय देश हमारा....जहां पहुच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा...'
और इसी सहारे की वजह से वो भी अपने बचे लेकर यहाँ आये, मेरे बच्चे पहले से ही यहाँ मौजूद थे और फिर जब उनके और हमारे मिलन के बाद के बच्चे हुए तो नतीजा आज हम देख रहे है कहे गोधरा, कही बाबरी कहीं मावो नक्सल कही कुछ कही कुछ....!
वाह मज़ा आ गया ....अलबेला जी, बहुत बहुत धन्यवाद !!
Ultimate Story...maja aa gaya albela ji jawab nahi hai aapka..sundar rachana..dhanywaad.
वाह !!
हा हा हा हा
क्या बात है! मेरे बच्चे भी हैं, तुम्हारे बच्चे भी हैं और हमारे बच्चे भी हैं!! वाह वाह!!!
धन्यवाद अलबेला जी .रोचक रचना.
बहुत सुन्दर जी
और फिर गोदियाल जी ने गूढार्थ भी बता दिया.
ये ब्लौगिंग पर कमेंट था या साधारण चुटकुला? जो भी था, बहुत बढ़िया था.. :)
तुम्हारे + मेरे = हमारे .
वाह, क्या गणित है.
हा हा हा !!
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