Tuesday, September 3, 2013

आसाराम बापू अपने संकट का निवारण करने के लिए यदि निर्मल दरबार में जाते तो वहां ऐसा कुछ होता


आसाराम बापू  अपने पर आये संकट  का निवारण करने के लिए यदि निर्मल  दरबार में  जाते तो वहां शायद ऐसा कुछ होता :

निर्मल बाबा :  भई  कहाँ से आये हैं आप ?

आसाराम     :  जी अभी तो जोधपुर से ही आया हूँ ..वैसे ठिकाने मेरे पूरी दुनिया में फैले हैं ..

निर्मल बाबा  :  करते क्या हैं आप ?

आसाराम      :  जी, लोगों के सांसारिक दुःख दूर करके उन्हें  परमात्मा से मिलाता हूँ , लेकिन  ख़ुद के नहीं मिटा पाया  इसलिए  आपके पास आया हूँ

निर्मल बाबा  :  अर्थात जिस प्रकार  एक हज्जाम अपने बाल दूसरे हज्जाम से कटवाता है  उसी प्रकार आज एक बाबा  दूसरे बाबा के पास  अपने संकट कटाने आया है .....

आसाराम      :   जी बाबा ..आप तो सब जानीजान हैं ....

निर्मल बाबा   :  भई  ये जेल बड़ी आ रही है सामने ..........क्या आपने कभी कोई जेल देखी है ?

आसाराम       :  जी हाँ, आजकल तो सपने में  रोज़ जेल ही दिखाई देती है ...

निर्मल बाबा   :  तो एक बार सपने से निकल कर,  पूरी जागृत अवस्था में कुछ दिन जेल में रह कर आ जाओ, किरपा वहीँ अटकी हुई है ....

आसाराम        :  जी बाबा जी ........बोल निर्मल दरबार की जय

परमपाखण्डी बाबा अलबेलानंदजी परमकंस के फ़ेसबुकिया प्रवचनों से साभार

https://www.facebook.com/AlbelaKhatrisHasyaKaviSammelan?ref=hl







2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (04-09-2013) गुरु हो अर्जुन सरिस, अन्यथा बन जा छक्का -चर्चा मंच 1359 में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Unknown said...

बहुत खूब ! बहुत अच्छी रचना ! बधाई स्वीकार करें !

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