आज एक फेसबुक मित्र ने शिकायत की है मुझसे कि वोह मेरी हर फोटो को like करते हैं तो मैं उनकी हर फोटो like क्यों नहीं करता . मैंने हँस कर कहा, 'आज कर दूंगा' तो वे बोले - पहले मेरा प्रोफाइल फोटो like करो . ये बात मैं आपको इसलिए बता रहा हूँ कि बहुत से मित्रों को शायद ऐसी ही शिकायत मुझसे हो सकती है या आपसे भी हो सकती है .
अब मेरा कहना ये है मित्रो ! कि like या comments इसलिए नहीं करना चाहिए कि कोई आपको कर रहा है बल्कि इसलिए करना चाहिए कि वो बात आपको पसंद आई . मैं अक्सर अपनी पोस्ट लगाने के बाद राउण्ड लगाता हूँ और जो भी पोस्ट मुझे अच्छी लगती है मैं उस पर like और comments करता हूँ . वैसे भी फेसबुक पर हर मित्र लेखक नहीं है और हर मित्र पाठक नहीं है . तो लेखक से आप like के बजाय अच्छे लेखन की अपेक्षा करें और पाठकगण मित्रों से अनुरोध है कि वे हर अच्छी पोस्ट को like करें या comments करें . भले ही उसका लेखक आपकी पोस्ट like करे या न करे .
ऐसा होगा तो इस मंच पर श्रेष्ठ रचनाओं को प्रोत्साहन मिलेगा और परस्पर स्पर्धा होगी लेखकों व पाठकों के बीच कि लेखक लिखता अच्छा है या पाठक वाहवाही अच्छी करता है . आओ, इस मंच का हम पूरा पूरा सदुपयोग करें और निरन्तर हाशिये पर जा रहे स्वस्थ लेखन को नवऊर्जा देने का साझा प्रयास करें .
प्रिय मित्रो, यह बात भी हमें याद रखनी चाहिए कि हर आदमी मोबाइल से फेसबुक अपडेट नहीं करता . कई ऐसे पाठक हैं जो सिर्फ कुछ देर के लिए यहाँ आते हैं . कुछ लोग साइबर कैफे में जा कर करते हैं और कुछ लोग केवल डेस्कटॉप से ही करते हैं . तो ज़ाहिर है कि उन सब के सामने पोस्ट जायेगी और वे पढेंगे तभी तो like करेंगे . औरों का क्या मैं खुद का उदाहरण देता हूँ कि जब मैं घर में होता हूँ सिर्फ़ तभी ब्लॉग और फेसबुक अपडेट करता हूँ या mail चैक करता हूँ . एक बार घर से निकल गया तो फिर जय राम जी की ..........ऐसे में कोई अपेक्षा करे कि मैंने उसे like नहीं किया तो यह परिस्थितिजन्य बाधा है . इसका कोई उपाय नहीं .
बुरा न मानें तो हम सब हलवाई हैं और शौकिया नहीं व्यावसायिक हलवाई हैं . हमारा दायित्व है उपभोक्ता को स्वस्थ और स्वादिष्ट मिठाई देना ..........वो खाने के बाद like करे न करे, उसकी मर्ज़ी .....हमारा काम ये नहीं कि हम सब हलवाई इक दूजे की दूकान पर जा कर नियमित रूप से उसकी मिठाइयों को like करें हा हा हा
जय हिन्द !
अलबेला खत्री
risahika agrawal,mukesh khordia, albela khatri surat |
No comments:
Post a Comment