मिल कर आँखे चार करें
आजा रानी, प्यार करें
जग पर तम गहराया है
भेद इसे, उजियार करें
कैसे कैसे लोग यहाँ
छुपछुप पापाचार करें
नया पैंतरा दिल्ली का
भोजन का अधिकार करें
लीडर तेरा क्या होगा
वोटर जब यलगार करें
चलो यहाँ से 'अलबेला'
हम भी कारोबार करें
जय हिन्द !
अलबेला खत्री
hasyakavi albela khatri with his poem |
hasyakavi albela khatri with his poem |
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