Thursday, August 30, 2012

क्या सखि अजमल ? नहिं रे कसाब


तीन सामयिक कह-मुकरियां 


निर्दोषों का वह हत्यारा 


जन जन ने उसको धिक्कारा 


किया कोर्ट ने ठीक हिसाब 


क्या सखि अजमल ? नहिं रे कसाब




वो सबका इन्साफ़ करेगा 


नहिं हत्याएं माफ़ करेगा 


ख़ून का बदला लेगा ख़ून 


क्या सखि मुन्सिफ़ ? नहिं कानून  



हुआ आज हर्षित मेरा मन 



करूँ ख़ूब उनका अभिनन्दन 


काम कर दिया उसने अनुपम 


क्या सखि मन्नू ? नहिं वोह निकम 



-अलबेला खत्री 

sadhna sargam,anoop jalota,parthiv gohil,kirtidan gadhvi,albela khatri ki kah-mukri,jai maa hingulaj,hinglaj      



 

2 comments:

kunwarji's said...

बहुत बढ़िया....

कुँवर जी,

Darp said...

वाह! अद्भुत!

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