Tuesday, June 28, 2011

रंगलाल ने अपना माथा ठोक लिया





नंगलाल ने पूछा - पापा, मैं जब भी शाम को घर से बाहर जाने लगता हूँ

तो मम्मी मना कर देती है, कहती है तू अभी बच्चा है । तो मैं इतना

बड़ा कब होऊंगा जब मम्मी से पूछे बिना घर से बाहर जा सकूँगा ?


रंगलाल ने अपना माथा ठोक लिया और उदास स्वर में कहा - बेटा,

इतना बड़ा तो अभी मैं भी नहीं हुआ हूँ


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7 comments:

nilesh mathur said...

सच है, इतना बड़ा तो मैं भी नहीं हुआ!

Sunil Kumar said...

इतना शब्द का अर्थ बताइए ......:)

arvind said...

ha ha ha.....

डॉ टी एस दराल said...

ha ha ha ! badhiya .

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

हां जी, अन्ना साहब भी रोमोट कंट्रोल का ज़िक्र कर रहे हैं :)

zeashan haider zaidi said...

तभी पत्नियां कहती हैं, कब तक बच्चे बने रहिएगा.

ड्रामा द ग्रेट डिक्टेटर्स

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

पिता-पुत्र की हाजिरजवाबी का जवाब नहीं!

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