Wednesday, June 22, 2011

पापा कुछ तो इन्साफ कीजिये..............





रंगलाल
ने नंगलाल से कहा - बेटा नंगलाल !

रात बहुत हो गई है ...बत्ती बुझादे


नंगलाल - आप आंखें बन्द कर लो और बत्ती बुझ गई है

ऐसा समझ लो


रंगलाल - ठीक है, ये मेरा चश्मा वहां रख दे....


नंगलाल - चश्मा उतारो मत पापा, सोते समय चश्मा लगायेंगे

तो सपने साफ नज़र आयेंगे


रंगलाल - ठीक है बेटा ! पर अलार्म तो लगा दे.........

नंगलाल - पापा कुछ तो इन्साफ कीजिये,

दो बड़े बड़े काम मैंने किये हैं,

ये छोटा सा एक काम तो आप कीजिये

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4 comments:

Rajeysha said...

सारी दुनि‍यां यही कर रही है अलबेला जी, इसलि‍ये दुनि‍यां में कोई भी ढंग का काम हो नहीं पा रहा।

डॉ टी एस दराल said...

हा हा हा ! देश भी ऐसे ही चल रहा है ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी की चर्चा आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

:):)सही है

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