रंगलाल ने नंगलाल से कहा - बेटा नंगलाल !
रात बहुत हो गई है ...बत्ती बुझादे
नंगलाल - आप आंखें बन्द कर लो और बत्ती बुझ गई है
ऐसा समझ लो
रंगलाल - ठीक है, ये मेरा चश्मा वहां रख दे....
नंगलाल - चश्मा उतारो मत पापा, सोते समय चश्मा लगायेंगे
तो सपने साफ नज़र आयेंगे
रंगलाल - ठीक है बेटा ! पर अलार्म तो लगा दे.........
नंगलाल - पापा कुछ तो इन्साफ कीजिये,
दो बड़े बड़े काम मैंने किये हैं,
ये छोटा सा एक काम तो आप कीजिये

4 comments:
सारी दुनियां यही कर रही है अलबेला जी, इसलिये दुनियां में कोई भी ढंग का काम हो नहीं पा रहा।
हा हा हा ! देश भी ऐसे ही चल रहा है ।
आपकी इस उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी की चर्चा आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
:):)सही है
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