अत्यन्त मार्मिक, धार्मिक और प्रासंगिक प्रश्न पूछा आपने - आपका धन्यवाद .
परन्तु हमारे यहाँ परम्परा है कि बच्चे लोग बुज़ुर्गों की बात का कभी पलट कर जवाब नहीं देते इसलिए मैं भी आपकी बात का कोई जवाब दे कर, परम्परा का उलंघन नहीं करूँगा ....हा हा हाहा
@ राजे शा ! सर जी..........उस समारोह के दौरान जहाँ तक मेरा अनुभव है, पत्नियाँ बातें करती ही नहीं, क्योंकि बातें तो रोज़ होती ही रहती है, ऐसी काम की घड़ियाँ कभी-कभार आती हैं , इसलिए पत्नियां अक्सर ऐसे समय चुप्पी ही साधे रहती है, यदि बोले भी तो उसकी हर बात निरर्थक नहीं लगती, केवल निरर्थक बात ही निरर्थक लगती है और वो तो पत्नी क्या प्रेमिका की भी लगती है
वैसे इस कार्यक्रम में बोरियत के लिए उम्र का कोई दोष नहीं है, देखा ये जाना चाहिए कि आप अपने काम को कितने मन से कर रहे हैं ..........और किन परिस्थितियों में कर रहे हैं
पति को भूख लगी है और पत्नी का मन खाना बनाने का नहीं है तो मज़ा किरकिरा......यदि पत्नी खिलाने के लिए उतावली है और पति को भूख नहीं है तो भी मज़ा नहीं आएगा ...आनन्द तो तब है भोजन का जब खाने वाला भी भूख से छटपटा रहा हो और खिलाने वाली भी पका कर तैयार बैठी हो थाली सजा के........
शायर ने कहा है -
इश्क़ गर एक तरफ हो तो सजा देता है इश्क़ गर दोनों तरफ हो तो मज़ा देता है ...हा हा हा हा
6 comments:
पति-पत्नी के मध्य सांस्कृतिक समारोह यह क्या होता हे जी :)
आदरणीय यह भी बतायें कि सांस्कृतिक समारोह के दौरान पत्िन की बातें निरर्थक क्यों लगने लगती हैं बोर कार्यक्रम की वजह से या उम्र के कारण।
@ राज भाटिया जी !
अत्यन्त मार्मिक, धार्मिक और प्रासंगिक प्रश्न पूछा आपने - आपका धन्यवाद .
परन्तु हमारे यहाँ परम्परा है कि बच्चे लोग बुज़ुर्गों की बात का कभी पलट कर जवाब नहीं देते इसलिए मैं भी आपकी बात का कोई जवाब दे कर, परम्परा का उलंघन नहीं करूँगा ....हा हा हाहा
@ राजे शा !
सर जी..........उस समारोह के दौरान जहाँ तक मेरा अनुभव है, पत्नियाँ बातें करती ही नहीं, क्योंकि बातें तो रोज़ होती ही रहती है, ऐसी काम की घड़ियाँ कभी-कभार आती हैं , इसलिए पत्नियां अक्सर ऐसे समय चुप्पी ही साधे रहती है, यदि बोले भी तो उसकी हर बात निरर्थक नहीं लगती, केवल निरर्थक बात ही निरर्थक लगती है और वो तो पत्नी क्या प्रेमिका की भी लगती है
वैसे इस कार्यक्रम में बोरियत के लिए उम्र का कोई दोष नहीं है, देखा ये जाना चाहिए कि आप अपने काम को कितने मन से कर रहे हैं ..........और किन परिस्थितियों में कर रहे हैं
पति को भूख लगी है और पत्नी का मन खाना बनाने का नहीं है तो मज़ा किरकिरा......यदि पत्नी खिलाने के लिए उतावली है और पति को भूख नहीं है तो भी मज़ा नहीं आएगा ...आनन्द तो तब है भोजन का जब खाने वाला भी भूख से छटपटा रहा हो और खिलाने वाली भी पका कर तैयार बैठी हो थाली सजा के........
शायर ने कहा है -
इश्क़ गर एक तरफ हो तो सजा देता है
इश्क़ गर दोनों तरफ हो तो मज़ा देता है ...हा हा हा हा
आपकी रिसर्च का जवाब नहीं!
@ रूपचंद्र शास्त्री जी !
रिसर्च विसर्च तो कुछ नहीं है प्रभु परन्तु रोज़मर्रा का काम है इसलिए अनुभव तो हो ही जाता है ,,,हा हा हा
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