अभी तीन दिन पहले अहमदाबाद में बहुत बड़ा कवि सम्मेलन
था दी गुजरात एस्टेट डेवलेपर्स एसोसिएशन यानी सरल शब्दों
में बिल्डर्स एसोसिएशन का जिसमे देश भर के ख्यातनाम कवि-
कवयित्रियों ने काव्यपाठ किया । उस भव्य कवि-सम्मेलन का मंच
सञ्चालन किया था दिल्ली के गजेन्द्र सोलंकी ने ।
चूँकि मैं कद-काठी में ठीक-ठाक हूँ इसलिए मुझे प्रस्तुत करते हुए
गजेन्द्र सोलंकी ने यह कह कर बुलाया कि ये देश का सबसे लम्बा
कवि है जो खड़ा हो कर देखे तो संतरे भी निम्बू दिखाई देते हैं........
इस चुटकी पर लोगों ने ख़ूब ठहाका लगाया । लेकिन अपन तो ठहरे
अपन !
मैंने खड़े होते ही कहा कि भाई मैं तो बिलकुल भी लम्बा नहीं हूँ,
लम्बे तो थे मेरे पूज्य पिताजी, जो एक बार जैसलमेर गये और
लोगों से कहा कि भाई मुझे ऊंट दिखाओ, ऊंट देखना है । उनकी बात
सुन कर लोगों ने पिताजी को नीचे से ऊपर देखा और कहा कि साहब
आप क्यों तकलीफ़ करते हैं ? हम ऊंट को ले आते हैं, वो आप को
देख लेगा ...हा हा हा हा हा हा हा हा
इस बात पर हमारे संयोजक राजकुमार भक्कड़ ने तो ठहाका
लगाया ही उनके पिताश्री नारायणदास भक्कड़ भी अपनी हँसी
नहीं रोक पाए ।

7 comments:
शानदार .......और क्या कहे ....
थोडा समय यहाँ भी दे :-
आपको कितने दिन लगेंगे, बताना जरुर ?....
आपकी हाजिर जवाबी का भी कमाल नहीं..:)
मस्त समा जमा होगा..कुछ विडिओ दिखाईये उसके...
मस्त जी बहुत मस्त
हा..हा..हा..नहले पर दहला।
निमंत्रण गुजराती में है..ऊट को नहीं बुलाया?
गजेन्द्र जी ने झूठ नही कहा हमने आपको देखा है ।
....यह भी खूब रही!...हा, हा, हा!
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