नंगलाल ने नया नया भोजनालय खोला तो मुहूर्त के दिन रंगलाल भी
वहां गया और उसने खाना भी खाया । खाना खा कर रंगलाल ने सोचा
कि आज बेटे की दूकान का पहला दिन है, उसकी बोहनी खराब न हो
इसलिए थाली के पैसे दे देना चाहिए लेकिन नंगलाल चूँकि उसका बेटा है,
इसलिए पैसे वह लेगा नहीं, सो रंगलाल ने थाली के नीचे पचास का नोट
रख दिया जिसे नंगलाल ने देख लिया।
नंगलाल - नहीं पापा नहीं, ऐसा मत करो, ये नहीं चलेगा ..........
रंगलाल - रख ले बेटा रख ले...आज पहला दिन है....
नंगलाल - इसीलिए कह रहा हूँ कि ये नहीं चलेगा, आपने रखे हैं पचास
रूपये और माल खाया है एक सौ तीस का..........
5 comments:
हां-हां हा ... वाह जी रंगलाल जी पक्के बनिया निकले !
ha ha ha.....
नंगलाल तो खरा बिजनेसमैन निकला...धंधे में कैसी लिहाज :)
बहुत बढ़िया!
नंगई का जवाब नही!
नंगलाल ने खूब रंग जमाया ... हा हा हा
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