Friday, July 16, 2010

अकृतज्ञ मानव से एक कृतज्ञ कुत्ता बेहतर है




अगर इन्सान

सुख-दुःख की चिन्ता से ऊपर उठ जाये

तो आसमान की ऊँचाई भी उसके पैरों तले जाये..........



अकृतज्ञ मानव से एक कृतज्ञ कुत्ता बेहतर है


- शेख सादी



3 comments:

विनोद कुमार पांडेय said...

आदमी कई तरह के होते है...और जानवर बनने में भी देर नही लगती है...बढ़िया सार्थक कथन..धन्यवाद अलबेला जी

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सही कहा है!
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इसीलिए तो कुत्ता कारों में सैर करता है और आदमी मजदूरी करता है!

डॉ टी एस दराल said...

शायद ।

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