Saturday, May 15, 2010

सुहागरात को ही वाट लग गई दुल्हे राजा की ..........





कहते हैं जोड़ियाँ स्वर्ग में बनती हैं,

बनती होंगी भाई...हमें क्या ?

लेकिन स्वर्ग में बनी जोड़ियाँ भी

तब तब फेल हो जाती हैं

जब जोड़ी बेमेल हो जाती है



अभी कल की ही बात है

मैं आपको बताता हूँ

एक दृश्य दिखाता हूँ


मेरे घर के एक मच्छर चिरंजीव चना ने

पडौस की एक मक्खी आयुष्मती रचना से

प्यार प्यार में कर ली शादी बाकायदा

लेकिन मच्छर को इसमें क्या फायदा ?

सुहागरात को ही सारी खुशियाँ खो गई

दूल्हा चना अमूल दूध पी कर आया तब तक

दुल्हन रचना ओडोमॉस लगा कर सो गई...........



सभी को अक्षय तृतीया की बधाई

- अलबेला खत्री




13 comments:

अनामिका की सदायें ...... said...

ha.ha.ha.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बढ़िया हास्य....:):)

दिलीप said...

ha ha ha sir bahut mazedaar

M VERMA said...

दूल्हा चना अमूल दूध पी कर आया तब तक
दुल्हन रचना ओडोमॉस लगा कर सो गई...........
बहुत खूब
जगा भी तो सकता था

शिवम् मिश्रा said...

बेचारे दुल्हे मियां !!

राजीव तनेजा said...

मजेदार

कडुवासच said...

...बेहतरीन ... रोचक !!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

दुल्हा-दुल्हन और सभी को देता बहुत बधाई!
बेड़ी और हथकड़ियाँ लेकर अक्षय तृतीया आई!!

Ra said...

हा...हा.हाहा ..आपका ब्लॉग किसी हास्य फिल्म से कम नहीं ,,,जब भी मन भारी होता है बस एक चटका लगा लेता हूँ...उदासी गायब

Ra said...

mchhar ke liye thoda afsoos hai :)

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

ha ha ha ha ha ha ha
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

संजय भास्‍कर said...

majedaar hai...

संजय भास्‍कर said...

..बेहतरीन ... रोचक !!!

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