Thursday, March 18, 2010

अक्ल बादाम खाने से नहीं, ठोकर खाने से आती है


रंगलाल का बेटा नंगलाल शादी करने को उतावला है लेकिन
नंगलाल उसे उपदेश दे रहा है कि शादी कोई अच्छी चीज़ नहीं है
इससे आदमी बर्बाद हो जाता है वगैरह वगैरह

नंगलाल भड़क जाता है और बाप से पूछता है - पापा ! जब शादी
इतनी ही बुरी चीज़ है तो आपने क्यों की ? और आपसे भी पहले
आपके बाप ने क्यों की ?

रंगलाल उदास स्वर में कहता है - इसलिए बेटा नंगलाल !
क्योंकि अक्ल बादाम खाने से नहीं, बल्कि ठोकर खाने से ही
आती है ....हा हा हा


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www.albelakhatri.com

7 comments:

राजीव तनेजा said...

मज़ेदार....
इतने दिनों तक कहाँ गायब रहे मित्र?

राज भाटिय़ा said...

यह झूठ नही अक्ल बादाम खाने से नहीं, बल्कि ठोकर खाने से ही

आती है

Udan Tashtari said...

हा हा!! खुद ही ठोकर खाकर सीखेगा.

दीपक 'मशाल' said...

Haay maha dukh paaye sakah tum(aap) aaye ite na kite din khoye..
achchha laga chutkula sir..

ओम पुरोहित'कागद' said...

भाई अलबेला जी , वाकई बड़े अलबेले हो!आपका ब्लाग देख कर संदेश छोड़ा मगर शायद आपने परवाह ही नहीँ की कि क्या आप हमारे वाले वही गंगानगर वाले अलबेला हो या कोई और?काफी साल पहले मुम्बई मेँ एक कवि सम्मेलन मेँ मिलना भी हो गया था मगर उस समय मोबाइल नम्बर लेना भूल गया था।अब पकी उम्र की शक्ल मेँ पहचान मेँ नहीँ आ रहे।आपके चेहरे की चमक तेज और मेरी आंखोँ की मंद हो गई। आप मेरे ब्लाग पर पधारो तो फिर सिलसिला निकले।
-ओम पुरोहित'कागद' omkagad.blogspot.com
m.09414380571

ओम पुरोहित'कागद' said...

एक किसान ने खेत से घर फोन मिलाया
गलती से कस्टमर केयर मेँ लग गया
कस्टम केयर वाली लड़की बोली-मैँ तुहाडी की सेवा कर सकदी हां?
किसान बोला-इक बोतल,सोडा,दो गिलासी ते नमकीन ले आ।फेर आखीँ सेवा होई के नइयोँ! बो'ता बोलणा सिख गई वेँ- दिखदा नईँ सूरज चड़ गया,रोटी ले आ चुप कर के !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

मज़ाक की बात नही यही सत्यता है!

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