रंगलाल अपने बेटे नंगलाल के साथ ढाबे में खाना खा रहा था ।
संयोग से नंगलाल को चावल में एक बाल नज़र आ गया । वह
गुस्से में चिल्लाने लगा और ढाबा मालिक को खरी-खोटी
सुनाने लगा । ख़ूब हंगामा कर दिया । खाने के पैसे भी नहीं
दिये, उलटे स्वास्थ्य अधिकारी को बुलाने की धमकी देकर
फ़ोकट में मिरिंडा भी पी लिया । बाप ने बहुत समझाया कि
बेटा जाने दे ....हो जाता है ..लेकिन वह नहीं माना । हंगामा
करके ही दम लिया ।
शाम को रंगलाल जब टहलने निकला तो देखा, गांधी पार्क
में उनका लाल यानी नंगलाल एक छोकरी की गोद में सिर
रख कर लेटा था और उसके बालों में मुँह मारते हुए उनकी
तारीफ़ भी किये जा रहा था । रंगलाल से रहा ना गया, उसने
अपना जूता निकाल लिया और 4-5 एक साथ टिका दिये ,
"हरामखोर ! वहाँ चावल में एक बाल आगया, तो उसकी
माँ-बहन एक करदी और यहाँ इस छोकरी के बालों में मुँह
मार रहा है ?"
नंगलाल बोला,"पापा ! गुस्सा करने की ज़रूरत नहीं है, बात
उसूल की है । वहाँ चावल में बाल था तो मैंने ढाबे वाले की
वाट लगाई ... अगर यहाँ बालों में एक चावल मिल गया तो
इस छोकरी की वाट लगा दूंगा"..........हा हा हा हा
7 comments:
:)
बाप रे :)
सही है! चाँवल में बाल तो मिल सकते हैं किन्तु बाल में चाँवल?
चावल की जगह जूं मिली तो क्या होगा।
चुटकुला का चुटकुला।
बात की बात!
sahi hai
क्या बात है!
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