Friday, December 11, 2009

ढाबे में बैठे सभी लोग ज़ोरों से हँस पड़े



बहुत साल पहले की घटना है


मैं और मेरा एक दोस्त, हम दोनों देवी दर्शन की यात्रा पर थे

एक दिन चंडीगढ़ के आस पास राज मार्ग पर, ढाबे में चारपाई पर

बैठ कर खाना खा रहे थेमुझे पानी पीना था और कई बार मांग

चुका था लेकिन सर्विस करने वाला ध्यान ही नहीं दे रहा था..जब

मुझसे रहा गया तो मैं ज़ोर से चिल्लाया :


_ ओय ढाबे दा मालक कौन है ओय ?

_ मैं हैगां ...क्यों की गल ?

_ एत्थे आओ..तां दस्सां ...मैंने कहा

_ बोल लाले क्यों रोला पाया ? सेठ ने पूछा


मैंने कहा " कोई रोला नी पाया , तुस्सी एत्थे खड़े रह के मेरी प्लेट दा

ख्याल रक्खो ! मैं सामने नलके तों पानी पी के आन्दा हाँ ...

ढाबे में बैठे सभी लोग ज़ोरों से हँस पड़े..सेठ के साथ साथ उसका

स्टाफ भी हँसा......और असर ये हुआ कि सेठ पानी ख़ुद ले कर आया...


हा हा हा हा हा हा हा

7 comments:

vandana gupta said...

hahahaha.............gud

Anonymous said...

बढ़िया :-)

बी एस पाबला

समयचक्र said...

क्या बात है हा हा हा हा .....

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा

डॉ टी एस दराल said...

ये तो अच्छा तरीका सुझाया है।
बस थोड़ी पंजाबी बोलना सीख लें।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

मित्रवर हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही घटा था!
एक बार बस से यात्रा कर रहा था परन्तु ड्राईवर पहुत धीरे-धीरे बस चला रहा था!
जब मुझसे नही रहा गया तो मैंने जोर से कहा-
"ड्राईवर साहब जरा बैलगाड़ी को साइड दे देना!"

Unknown said...

हा हा हा हा हा

मजा आ गया!

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