बहुत साल पहले की घटना है ।
मैं और मेरा एक दोस्त, हम दोनों देवी दर्शन की यात्रा पर थे ।
एक दिन चंडीगढ़ के आस पास राज मार्ग पर, ढाबे में चारपाई पर
बैठ कर खाना खा रहे थे । मुझे पानी पीना था और कई बार मांग
चुका था लेकिन सर्विस करने वाला ध्यान ही नहीं दे रहा था..जब
मुझसे रहा न गया तो मैं ज़ोर से चिल्लाया :
_ ओय ढाबे दा मालक कौन है ओय ?
_ मैं हैगां ...क्यों की गल ऐ ?
_ एत्थे आओ..तां दस्सां ...मैंने कहा।
_ बोल लाले क्यों रोला पाया इ ? सेठ ने पूछा।
मैंने कहा " कोई रोला नी पाया , तुस्सी एत्थे खड़े रह के मेरी प्लेट दा
ख्याल रक्खो ! मैं सामने नलके तों पानी पी के आन्दा हाँ ...
ढाबे में बैठे सभी लोग ज़ोरों से हँस पड़े..सेठ के साथ साथ उसका
स्टाफ भी हँसा......और असर ये हुआ कि सेठ पानी ख़ुद ले कर आया...
हा हा हा हा हा हा हा
7 comments:
hahahaha.............gud
बढ़िया :-)
बी एस पाबला
क्या बात है हा हा हा हा .....
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा
ये तो अच्छा तरीका सुझाया है।
बस थोड़ी पंजाबी बोलना सीख लें।
मित्रवर हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही घटा था!
एक बार बस से यात्रा कर रहा था परन्तु ड्राईवर पहुत धीरे-धीरे बस चला रहा था!
जब मुझसे नही रहा गया तो मैंने जोर से कहा-
"ड्राईवर साहब जरा बैलगाड़ी को साइड दे देना!"
हा हा हा हा हा
मजा आ गया!
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