Monday, December 7, 2009

इन्दोर के तो केले वाले भी ताऊ रामपुरिया जैसे लट्ठ हैं ...




परसों इन्दोर के होटल अमर निवास में मैं और मेरे साथी गौरव शर्मा

राजीव शर्मा एक हास्य कार्यक्रम कर रहे थे

चिरंजीव रजत भंडारी और सौ.कां. स्वीटी के विवाह का समारोह था



अगले दिन यानी कल वहाँ से प्रस्थान करते समय मैंने

एक केले वाले से पूछा - केले क्या भाव दिए ?


वो बोला- बीस रूपये दर्जन............

मैंने कहा - कुछ कम करो भाई........

कमबख्त ने दो केले ही कम कर दिए..........हा हा हा हा हा हा


सच ! ताऊ के शहर में केले वाले भी कम लट्ठ नहीं हैं



8 comments:

Unknown said...

आखिर ताऊ का शहर है भई!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

केले तो ताऊ को साथ लेकर ही खरीदने चाहिए थे!
कुछ न कुछ तो कन्सेशन जरूर मिल ही जाता!

समय चक्र said...

शास्त्री जी के विचारो से सहमत हूँ . केले तो आपको ताउजी के साथ ही खरीदना थे . हा हा हा

डॉ टी एस दराल said...

केले वाला तो बड़ा बुद्धिमान निकला।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

अलबेला जी, केले की खरीददारी मै सुवाद आया के कोनी यो बताओ, बाकी मोल भाव छोडो। राम-राम

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

फिर तो केले भी लट्ठ जैसे ही होंगें :)

राजेश स्वार्थी said...

अब तो ताऊ के सामने केले वाले बाहर गये षर से...

Udan Tashtari said...

केले वाले बड़े लट्ठ...हद हो गई.

Labels

Followers

Powered By Blogger

Blog Archive