Monday, November 2, 2009

सबसे हसीन लम्हे बिना कपड़ों के गुज़ारे जाते हैं



लोग

अपने कपड़ों की स्टाइल पर

जाने कितना पैसा,

समय और दिमाग़

बरबाद कर देते हैं

पर वो शायद ये भूल जाते हैं कि

ज़िन्दगी के

सबसे हसीन लम्हे

बिना कपड़ों के गुज़ारे जाते हैं ....हा हा हा हा


16 comments:

Anil Pusadkar said...

हो हो हो हो हो।

हो हो इसलिये कि हा हा हा हा आप कर चुके हैं और मै किसी की नकल नही मारता। हो हो हो हो,वैसे बात पते की की है।

राजीव तनेजा said...

मज़ेदार

Urmi said...

हा हा हा ! बिल्कुल सही कहा आपने! बड़ा मज़ेदार लगा!

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

हा हा ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हा हा गुजारो भैया गुजारो हा हा हा ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हा हा हा,

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

हा-हा-हा... सुबह सुबह और कुछ नहीं सूझा क्या ?

Asha Joglekar said...

अब आपसे क्या कहें, आप तो आप ही हैं ।

विनोद कुमार पांडेय said...

Wahh albela ji..

har baar majedaar ..ha ha ha ha ha

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

waah! ekdum patey ki baat kahi hai aapne..........

waah

hahahahahahahahahahahahahahahaa

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

व्यंग्य के माध्यम से
बहुत गूढ़ वात कह गय हो मित्रवर!
बधाई हो!

sushant jha said...

Dil ki baat....

Unknown said...

ज़िन्दगी के
सबसे हसीन लम्हे
बिना कपड़ों के गुज़ारे जाते हैं

मजेदार!

शिवम् मिश्रा said...

मज़ेदार !!

अजय कुमार झा said...

सच कहा अलबेला भाई ....नहाने का अपना ही मजा होता है....इससे बढ के कोई आनंद नहीं ...बिल्कुल ठीक कहा आपने....अरे मैं ठीक ठीक समझ रहा हूं न ....आप लोग नहाने की ही बार कर रहे हैं न....

डॉ टी एस दराल said...

मूलरूप पर मूल विचार, पसंद आये.

Kumarendra Singh Sengar said...

इस बात पर अपने एक दोस्त की बात याद आ गई जो शादी के पहले पाउडर खरीदने गया तो डिब्बा खुलवा कर चखने लगा, पूछने पर बोला कि आखिर चाटना तो हमें ही पड़ेगा.

हितेष said...

Ek prayas kiya hai.. chunki blogger aur kavita dono me naye hai isliye comment ko hi prachar ka madhyam chuna. Kripya dhyan de- http://hiteshmathpal.blogspot.com/2009/11/waqt.html

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