Monday, November 12, 2012

गब्बर भी अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझता, नरेन्द्र मोदी भी किसी को कुछ नहीं समझते




गुजरात के स्वनामधन्य  माननीय मुख्यमंत्री  श्री नरेन्द्र मोदी को  बन्दर कहने वाले


महानुभावों से मेरी विनती है कि  वे अपनी भाषा सुधारें .  बन्दर  कहना उचित नहीं है .


 बेचारे बन्दर ने आपका क्या बिगाड़ा है जो आप उसे इस राजनीति  की  कीचड़ में


घसीट रहे हैं .  हाँ, कहना  है  तो गब्बर  कहो ...गब्बर सिंह कहो ....और इसलिए


कहो क्योंकि ये  संबोधन उससे ज्यादा मुफीद है .



उदाहरणार्थ :


गब्बर के ताप से सिर्फ एक ही आदमी बचा सकता है  खुद गब्बर

नरेन्द्र मोदी के  ताप से भी सिर्फ एक ही आदमी बचा सकता है खुद  नरेन्द्र मोदी


गब्बर के पास साम्भा है प्रचार के लिए  जो पहाड़ पर बैठ कर उसके भाव बताता है

नरेन्द्र मोदी  ने पूरे  सिस्टम को ही साम्भा बना कर, जगह जगह होर्डिंग पर लटका दिया है अपनी फोटो के साथ


गब्बर जब रामगढ़ समेत किसी भी गाँव में जाता है तो गरीब लोग अपना काम काज छोड़ कर डर  के मारे भाग जाते हैं

नरेन्द्र मोदी जब कभी किसी शहर में जाते हैं तो  सड़कों पर से गरीब लारी वालों और छोटे छोटे धंधे करके पेट पालने वालों को खदेड़  कर भगा दिया जाता है


गब्बर के भी सामने सब लोग डरते हैं और पीठ पीछे उसकी बुराई करते हैं

नरेन्द्र मोदी  के भी सामने बोलने की  ताकत किसी में नहीं, लेकिन पीठ पीछे .....कहने की ज़रूरत ही क्या है,
सब जानते हैं



गब्बर भी अपने  विरुद्ध शिकंजा कसने वाले ठाकुर के हाथ काट डालता है और उसके परिवार को काल के गाल में धकेल देता  है

नरेन्द्र मोदी  भी अपने विरोधियों की बोलती बंद करने के लिए  सुविख्यात हैं


गब्बर  भी आखिर  में बहुत तकलीफ पाता है और अपने कर्मों की सजा पाता है

नरेन्द्र मोदी भी जिस दिन  सत्ता में न रहे, उस दिन .....हालत पतली होने वाली है ...इन्हें भी जवाब देना पड़ेगा उस हर सवाल का जो अभी  दबे पड़े हैं


गब्बर को भी बसंती का नाचगान भाता है

नरेन्द्र मोदी को भी उत्सवधर्मी  कहा जाता है


गब्बर के  आदमी भी लोगों से अनाज दाना आदि लेते हैं तो कोई ज़ुल्म नहीं करते 

नरेन्द्र मोदी के पट्ठे भी लोगों से लक्ष्मी  लेते हैं तो कोई अपराध नहीं करते


गब्बर भी अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझता

नरेन्द्र मोदी  भी किसी को कुछ नहीं  समझते


__और भी बहुत सी समानताएं हैं, लेकिन समयाभाव में अभी इतना ही 


जय हिन्द !
जय जय गरवी गुजरात

-अलबेला खत्री

hasyakavi albela khatri on web

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्दर प्रस्तुति!
--
दीवाली का पर्व है, सबको बाँटों प्यार।
आतिशबाजी का नहीं, ये पावन त्यौहार।।
लक्ष्मी और गणेश के, साथ शारदा होय।
उनका दुनिया में कभी, बाल न बाँका होय।
--
आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

Shah Nawaz said...

रौशनी और खुशियों के पर्व "दीपावली" की ढेरों मुबारकबाद!

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