Tuesday, September 28, 2010

चिल्ला वही रहे हैं जिनके हिस्से में नहीं आया




रंगलाल ने पूछा

बोल बेटा नंगलाल !

दिल्ली के राष्ट्र मण्डल खेलों की तैयारी में

किस किस ने कितना माल कमाया ?


नंगला ने मुँह खोला

और

मुस्कुराते हुए बोला

पापा !

मुझे
ये तो नहीं पता

कि किसने कितना खाया

लेकिन चिल्ला वही रहे हैं

जिनके हिस्से में नहीं आया





12 comments:

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

नंगलाल तो बहुत बुद्धिमान है...सब कुछ समझ रहा है :)

विकास said...

हा हा हा हा....चिल्ला वही रहे हैं जिनके हिस्से कुछ नहीं आया....कविता अच्छी लगी.

Udan Tashtari said...

हा हा! अब मीडिया के हिस्से आ गया तो वो चुप हो गये... :)

Aruna Kapoor said...

सही कहा नंगलाल ने...जिसका मुंह भरा हुआ है, वह क्यों चिल्लाएगा!...हा, हा, हा!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

यही तो दुनिया का दस्तूर है!
---
जो चन्दा नहीं देता वही हिसाब माँगता है!

डॉ टी एस दराल said...

हा हा हा ! और पूछते हैं --बहती गंगा में नहाया ?

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

अपने अपने हिस्से का स्वर्ग :)

शरद कोकास said...

नंगलाल सही कह रहा है ।

शिवम् मिश्रा said...


बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

दिगम्बर नासवा said...

सच कहा है बिल्कुल .... नंगलाल बुद्धिमान है ...

Asha Joglekar said...

आप के नंगलाल ने तो पोल खोल के रख दी ।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

नंगलाल तो बहुत बदमाश हो गया है !

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