Friday, July 9, 2010

नयी बोरी खोलने की क्या ज़रूरत थी ?




पति-पत्नी ने दैहिक आनन्द अर्थात मौजमेला करने का कोड वर्ड

बना रखा था " चलो चीनी खायें "


एक दिन उनका नौकर रामू उनकी जवान बेटी के साथ मौजमस्ती

करता रंगे हाथ पकड़ा गया

मालिक - ये क्या कर रहा है हरामखोर !

रामू - थोड़ी सी चीनी खा रहा हूँ मालिक !

मालिक - मालिक के बच्चे, थोड़ी सी खानी थी तो नयी बोरी खोलने

की क्या ज़रूरत थी ? खुली हुई में से ही खा लेता ...

6 comments:

समयचक्र said...

हा हा मजेदार... पर इसमे एक चीज और जोड़ लें .... ""जब पुराणी बोरी खुली थी तूने नाई बोरी क्यों खोली""""

शिवम् मिश्रा said...

चीनी बहुत महेंगी है, भाई जी !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बढ़िया!

राजीव तनेजा said...

हा...हा...हा...बहुत ही बढ़िया

Rajeysha said...

नया एंगल है खत्री जी, हमारे 'हंसना मना है पर पधारें'।

Unknown said...

वाह वाह ...

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