Wednesday, May 19, 2010

चिदम्बरम जी ! जो काम केवल चुटकी बजाने जैसा है, उसे इत्ता बड़ा मुद्दा बना रखा है आपने ?





सम्मान्य श्री चिदम्बरम जी,

गृह मन्त्री - भारत सरकार

नयी दिल्ली


प्रसंग : देश में नक्सलवाद को खत्म करने की दिशा में

एक महत्त्वपूर्ण सुझाव


सन्दर्भ : दंतेवाड़ा समेत अनेक स्थानों पर नक्सलवादियों

द्वारा नरसंहार और आपके नेतृत्व में

सरकार द्वारा लगातार कमज़ोर मूर्खतापूर्ण कारवाही के चलते

देशवासियों में असुरक्षा असंतोष की भावना



श्रीमान जी !

बहुत हो चुका निरीह आम जनता तथा देशभक्त सुरक्षा कर्मियों का रक्तपात ........अब ज़रा अपनी ढीली लूंगी को कस कर बाँध लीजिये ताकि सरकार का कामकाज भी ढीलेपन से मुक्त हो..........

आपको ज़रा भी शर्म नहीं आती श्रीमान ?

जो काम चुटकी बजाने भर का है, उसे बहुत बड़ा मुद्दा बना रखा है आपने ?

इससे तो यही शक होता है कि हुकूमत इस समस्या को मिटाना ही नहीं चाहती..

लोग रोज़ाना मर रहे हैं और आप केवल टाइमपास कर रहे हैं ?

धिक्कार है............धिक्कार है ........ऐसी व्यवस्था पर जो समुचित साधनों से सम्पन्न होने के बावजूद चन्द ऐसे सरफिरे लोगों के आगे निरूपाय हो गई है...........

ये इतने सारे हथियार, इतनी गुप्तचरी, इतने बड़े बड़े आन्तरिक सुरक्षा के बजट क्या झख मर रहे हैं ?

यार........तुम से कोई पूछने वाला नहीं है इस देश में कि जब तुम्हारी योग्यता नहीं है समाज की रक्षा करने की तो उसके ठेकेदार काहे बने हो ? छोड़ क्यों नहीं देते............


खैर...गलती तुम्हारी अकेले की नहीं है तुमसे पहले वाले भी गोबर गणेश ही थे............


लो अब मैं एक आम आदमी आपको फार्मूला देता हूँ समस्या
को ख़त्म करने का ...यदि उचित लगे तो काम में लो, वरना
हमारा माल हमारे पास है...........

केवल सरकार ही नहीं, जनता भी सोच सकती है देश को
बचाने की तरकीब............


अभी मेरी घड़ी में रात के .१५ बजे हैं । ठीक ४ घंटे बाद या
पहले मेरी अगली पोस्ट प्रकाशित होगीउसे पढ़ कर समस्या
का निपटारा करें और देश समाज के प्रति आपका जो
दायित्व है उसका निर्वाह करें

धन्यवाद

-अलबेला खत्री



6 comments:

honesty project democracy said...

इरादा हो तब तो ?

Unknown said...

बहुत सही समय पर पत्र लिखा आपने और अच्छा लिखा
पर चितम्बरम वेचारा क्या करे जब गद्दारों की सरदार ही माओवादी आतंकवादियों के साथ खड़ी हो जाये तो
विस्तार से जाने के लिए हमारी पोस्ट पड़ें
आपकी टिप्पणी का काफी दिनों से इन्तजार है

दिलीप said...

waah Albela ji kash ye patr un vote ke vyaapaariyon tak bhi pahunche..

राजीव तनेजा said...

अगर लगन सच्ची और इरादा पक्का हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है...
अगली पोस्ट का इंतज़ार रहेगा

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत ही सटीक और कारगर सुझाव!

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

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