Wednesday, May 26, 2010

जो सास ही को न पीटे तो फिर बहू क्या है





ग़ालिब साहिब ने फ़रमाया :

रगों में दौड़ने के हम नहीं कायल ग़ालिब

जो आँख ही से टपके तो फिर लहू क्या है



किसी ने इसमें तड़का लगाया

घर में शान्ति से रहने के हम नहीं कायल भैया

जो सास ही को पीटे तो फिर बहू क्या है .............



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Monday, May 24, 2010

हमरी न मानो गुगलवा से पूछो.....................






कहते हैं दर्पण झूठ नहीं बोलता...........

गूगल बाबा भी झूठ नहीं बोलता................


हिन्दी कवि सम्मेलनों में काव्यपाठ करते हुए 25 से भी ज़्यादा वर्ष हो

गये मुझे और जहाँ, जिस शहर में भी जाता हूँ, लोग मेरी प्रस्तुति को ख़ूब

सराहते हैं ये मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है मैं तो केवल यह बताना

चाहता हूँ कि अधिकाँश बड़े कवि प़ता नहीं क्यों जब मुझे मंच पर देखते

हैं तो हिल जाते हैं, उनकी भरपूर कोशिश रहती है कि मैं उनके कब्ज़े

वाले बड़े कवि सम्मेलनों से दूर रहूँ ताकि मैं उनकी भांति 50- 50 हज़ार

रुपये प्राप्त करने वाला STAR POET बन सकूँ ...............



मैंने कभी परवाह भी नहीं की................लेकिन आज आप को बताना

चाहता हूँ कि दबाने से कोई चीज़ दबती तो फिर ये दुनिया ईश्वर के

अनुसार नहीं, मानव के अनुसार ही चलती..........



देश के TOP TEN POET जो हिन्दी काव्यमंचों पर सर्वाधिक व्यस्त

तो हैं ही, इंटरनेट के माध्यम से भी छाये हुए हैं उनकी लोकप्रियता

का सही आंकड़ा प्राप्त करने के लिए जब मैंने गूगल सर्च से परिणाम

निकाले तो निम्नांकित परिणाम आये............आखिर में मैंने ख़ुद का

परिणाम भी देखा जिसे देख कर मुझे गर्व तो हुआ या हुआ परन्तु हर्ष

बहुत हुआ.............



आप देखिये..............आपको भी ख़ुशी होगी.................


मैंने जिन मंचीय कवि महारथियों के परिणाम निकाले हैं, वे हैं :


सर्वश्री सुरेन्द्र शर्मा, अशोक चक्रधर, राहत इन्दोरी,

पद्मश्री डॉ सुरेन्द्र दुबे (दुर्ग), सुरेन्द्र दुबे (जयपुर), गजेन्द्र सोलंकी,

डॉ कुमार विश्वास, प्रताप फौजदार, डॉ सुनील जोगी, डॉ विष्णु सक्सेना

और अन्त में मैं स्वयं अलबेला खत्री



मैंने सबके लिंक भी दिये हैं आप इनकी web sites देख सकते हैं

सबसे पहले नमूने के तौर पर film STAR शाहरुख़ खान का परिणाम

उदाहरण देने के लिए दिखाया है



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मित्रो !

अगर आपको लगता है कि मुझे आपकी शाबासी मिलनी चाहिए तो दे

दीजिये, अगर आपको नहीं लगता तो मत दीजिये........



जय हिन्दी !


जय हिन्द !


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Thursday, May 20, 2010

प्रश्न-पत्र लीक हो गया है..........


रंगलाल का बेटा नंगलाल

जब परीक्षा देने गया तो पलम्बर को भी साथ ले गया

जानते हो क्यों ?

क्योंकि उसे पता चला था कि प्रश्न-पत्र लीक हो गया है



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Wednesday, May 19, 2010

जैसा कि मैंने कहा था ...नक्सलवाद को मिटाना चुटकी बजाने जैसा है तो ये लीजिये चुटकी और बजाइए




श्रीमान चिदम्बरम जी !

जैसा कि मैंने कहा था ...नक्सलवाद को मिटाना चुटकी बजाने जैसा है

तो ये लीजिये चुटकी और बजाइए


मैंने अपना वादा पूरा किया

ये रहा मेरा फार्मूला :



http://albelakhari.blogspot.com/2010/05/blog-post_20.html



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चिदम्बरम जी ! जो काम केवल चुटकी बजाने जैसा है, उसे इत्ता बड़ा मुद्दा बना रखा है आपने ?





सम्मान्य श्री चिदम्बरम जी,

गृह मन्त्री - भारत सरकार

नयी दिल्ली


प्रसंग : देश में नक्सलवाद को खत्म करने की दिशा में

एक महत्त्वपूर्ण सुझाव


सन्दर्भ : दंतेवाड़ा समेत अनेक स्थानों पर नक्सलवादियों

द्वारा नरसंहार और आपके नेतृत्व में

सरकार द्वारा लगातार कमज़ोर मूर्खतापूर्ण कारवाही के चलते

देशवासियों में असुरक्षा असंतोष की भावना



श्रीमान जी !

बहुत हो चुका निरीह आम जनता तथा देशभक्त सुरक्षा कर्मियों का रक्तपात ........अब ज़रा अपनी ढीली लूंगी को कस कर बाँध लीजिये ताकि सरकार का कामकाज भी ढीलेपन से मुक्त हो..........

आपको ज़रा भी शर्म नहीं आती श्रीमान ?

जो काम चुटकी बजाने भर का है, उसे बहुत बड़ा मुद्दा बना रखा है आपने ?

इससे तो यही शक होता है कि हुकूमत इस समस्या को मिटाना ही नहीं चाहती..

लोग रोज़ाना मर रहे हैं और आप केवल टाइमपास कर रहे हैं ?

धिक्कार है............धिक्कार है ........ऐसी व्यवस्था पर जो समुचित साधनों से सम्पन्न होने के बावजूद चन्द ऐसे सरफिरे लोगों के आगे निरूपाय हो गई है...........

ये इतने सारे हथियार, इतनी गुप्तचरी, इतने बड़े बड़े आन्तरिक सुरक्षा के बजट क्या झख मर रहे हैं ?

यार........तुम से कोई पूछने वाला नहीं है इस देश में कि जब तुम्हारी योग्यता नहीं है समाज की रक्षा करने की तो उसके ठेकेदार काहे बने हो ? छोड़ क्यों नहीं देते............


खैर...गलती तुम्हारी अकेले की नहीं है तुमसे पहले वाले भी गोबर गणेश ही थे............


लो अब मैं एक आम आदमी आपको फार्मूला देता हूँ समस्या
को ख़त्म करने का ...यदि उचित लगे तो काम में लो, वरना
हमारा माल हमारे पास है...........

केवल सरकार ही नहीं, जनता भी सोच सकती है देश को
बचाने की तरकीब............


अभी मेरी घड़ी में रात के .१५ बजे हैं । ठीक ४ घंटे बाद या
पहले मेरी अगली पोस्ट प्रकाशित होगीउसे पढ़ कर समस्या
का निपटारा करें और देश समाज के प्रति आपका जो
दायित्व है उसका निर्वाह करें

धन्यवाद

-अलबेला खत्री



Monday, May 17, 2010

हँस रहे हैं कसाब, रो रहे उज्ज्वल, आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल






न तो जीना सरल है न मरना सरल

आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल


कल नयी दिल्ली स्टेशन पे दो जन मरे

रेलवे ने बताया कि ज़बरन मरे

अब मरे दो या चाहे दो दर्जन मरे

ममतामाई की आँखों में आये न जल

आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल



तप रहा है गगन, तप रही है धरा

हर कोई कह रहा मैं मरा, मैं मरा

प्यास पंछी की कोई बुझादे ज़रा

चोंच से ज़्यादा सूखे हैं बस्ती के नल

आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल



एक अफज़ल गुरू ही नहीं है जनाब

जेलों पर है हज़ारों दरिन्दों का दाब

ख़ूब खाते हैं बिरयानी, पी पी शराब

हँस
रहे हैं कसाब, रो रहे उज्ज्वल

आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल



कुर्सी के कागलों ने जहाँ चोंच डाली

देह जनता की पूरी वहां नोंच डाली

सत्य अहिंसा की शब्दावली पोंछ डाली

मखमलों पे मले जा रहे अपना मल

आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल










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Sunday, May 16, 2010

कहिये क्या विचार है डॉ रूपचंद्र शास्री मयंक जी ? कितने देने वाले हैं आप इस पोस्ट के अंक जी ?




श्रद्धेय
डॉ रूपचंद्र शास्त्री जी !

नमस्कार


मुझे एक आईडिया रहा है और बहुत ज़ोर से रहा है

इस
लिए रोक नहीं पा रहा हूँ , तुरन्त अभिव्यक्त कर रहा हूँ कि

क्यों
हम एक खेल खेलें..............


आप भी रोज़ रोज़ नया काव्य सृजन करते हैं और मुझे भी भ्रम है

कि
मैं किसी भी विधा में तुरन्त कविता अथवा प्रतिकविता कर

सकता
हूँ इसलिए यदि ऐसा हो कि आप जो कविता पोस्ट करते

हैं
मैं उसी मीटर में उसकी पैरोडी बनाऊं या उसी को अपने अन्दाज़

में
आगे बढ़ाऊं तो मुझे लगता है पाठकों को खूब मज़ा आएगा



चूँकि आप गम्भीरता और ज़िम्मेदारी से लिखते हैं और मैं उसी

रचना
को हास्य व्यंग्य के तेवर में प्रस्तुत करूँगा इसलिए हम

दोनों
जब स्पर्धा और मजेदार स्पर्धा करेंगे तो अन्य भी जागेंगे,

जुड़ेंगे
अपने जौहर दिखायेंगे पसन्द करेंगे, टिपियायेंगे और

अपन
दोनों खूब trp पायेंगे .



जब सारा माहौल ख़ुशनुमा होजायेगा तो इन दिनों हिन्दी ब्लोगिंग

में
नाच रहा वैमनस्य का भूत अपने आप भाग जाएगा



कहिये क्या विचार है डॉ रूपचंद्र शास्री मयंक जी ?

कितने
देने वाले हैं आप इस पोस्ट के अंक जी ?



पाठकों एवं मित्रों की प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है.........
























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Saturday, May 15, 2010

सुहागरात को ही वाट लग गई दुल्हे राजा की ..........





कहते हैं जोड़ियाँ स्वर्ग में बनती हैं,

बनती होंगी भाई...हमें क्या ?

लेकिन स्वर्ग में बनी जोड़ियाँ भी

तब तब फेल हो जाती हैं

जब जोड़ी बेमेल हो जाती है



अभी कल की ही बात है

मैं आपको बताता हूँ

एक दृश्य दिखाता हूँ


मेरे घर के एक मच्छर चिरंजीव चना ने

पडौस की एक मक्खी आयुष्मती रचना से

प्यार प्यार में कर ली शादी बाकायदा

लेकिन मच्छर को इसमें क्या फायदा ?

सुहागरात को ही सारी खुशियाँ खो गई

दूल्हा चना अमूल दूध पी कर आया तब तक

दुल्हन रचना ओडोमॉस लगा कर सो गई...........



सभी को अक्षय तृतीया की बधाई

- अलबेला खत्री




Friday, May 14, 2010

ये कोई पद्मश्री नहीं है कि गए और ले आये इसके लिए तो खपना पड़ता है




बाप रे बाप !

बड़ा मुश्किल काम है

ये कोई पद्मश्री नहीं है कि गए और ले आये

इसके लिए तो खपना पड़ता है

खपाना पड़ता है खुद को........


महिलायें तो कर लेती हैं

लेकिन

पुरुषों के लिए

आसान नहीं है भाई !


पहले हाथ में लो

फिर सीधा करो

फिर मुँह में लो

फिर थूक लगा कर गीला करो

फिर भीतर प्रवेश कराओ..........


तौबा तौबा !

कितना मुश्किल है सुई में धागा डालना .............

आज डाला तो पता चला.........





उदय जी !

निलेश जी !

सैंगर जी !

राज जी !

कागद जी !

मिश्रा जी !

दिलीप जी !

____________
बुरा मानें............


जब ब्लोगिंग में चारों तरफ बड़ा कौन ? बड़ा कौन ? का झमेला चल रहा हो तो मैंने महसूस किया कि एक द्विअर्थी टोटका लगा ही दिया जाये ताकि घटिया कौन ? घटिया कौन ? का भी माहौल बने...

ये ब्लोगिंग क्या सिर्फ महान लोगों की बपौती है ? क्या हम जैसे घटिया लोगों का कोई हक़ नहीं है इस पर ?

मुझे भरोसा है कि अगर मेरा दाव सीधा पड़ा तो कम से कम 20 नापसन्द मिलेंगी इस पोस्ट को ....फिर अपने को कौन बनेगा घटिया ब्लोगर का प्रथम पुरूस्कार मिलने से तो कोई रोक ही नहीं सकता ...

मेरा नाम भले ही खराब हो, पर थोड़ी देर के लिए बड़ा कौन बड़ा कौन से तो ध्यान हटा ही दूंगा

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