Tuesday, February 16, 2010

ये है एक कलाकार का दर्द.......कोई समझेगा ?



आज
बड़ा ख़ास दिन था मेरे लिए भी, मेरे बड़े भाई के लिए भी
और मेरे परिवार के लिए भी...........क्योंकि आज इस कवि-
सम्मेलनीय श्रंखला का आखरी प्रोग्राम करके मुझे घर जाना
था मेरा बेटा बीमार है और लगातार मुझे याद कर रहा है, आज
ही मेरे बड़े भाई साहेब की बाई पास सर्जरी हुई है जिससे पूरे
परिवार की सांसें थमी हुई हैं


मैं आज दिन भर श्री सुखमनी साहेब का पाठ करना चाहता था
पर नहीं कर सकाक्योंकि समय नहीं मिला, भाईजी की
सर्जरी सफलता पूर्वक सम्पन्न हो चुकी है और घर के सब लोग
उनके होश में आने की बाट जोह रहे हैं, ऐसे में मुझे मेरी माँ के
पास होना चाहिए था .........लेकिन नहीं हूँ क्योंकि जिन लोगों ने
मुझे लेकर शो आयोजित किया था उन्होंने मुझे साफ़ कह दिया
कि अगर आप नहीं रहोगे, तो हमारा प्रोग्राम फ्लॉप हो जायेगा ........


क्या करता मैं ? झख मार कर मुझे लोगों को हँसाना पड़ा..........
भले ही माँ की आँखों से आँसू बह रहे थे......और उन्हें ढाढस देने के
लिए केवल बांसुरी वाला ही घर में था ..बाकी सब तो अस्पताल
में थे...........

खैर ...भतीजे का फोन गया है कि भाई साहेब की सर्जरी हो
चुकी है और वे अभी ICU में शिफ्ट कर दिये गये हैंकल मुझे
एक फ़िल्म साइन करने के लिए मुम्बई में रहना है, कल ही
सूरत में अपने बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाना है और कल ही
जयपुर में भाई साहेब को देखना और माँ से मिलना है लेकिन
मैं इनमे से एक भी काम नहीं कर पाऊंगा क्योंकि 20 फरवरी
को होने वाले एक बड़े इवेन्ट के लिए मुझे आज रात ही दो
कव्वालियाँ और पूरी स्क्रिप्ट लिख कर देनी हैयदि ये काम नहीं
किया तो मार्केट में नाम खराब हो जाएगा और नाम खराब होने पर
कितना नुक्सान होता है इसका मुझे पूरा अनुभव एक बार हो
चुका है,,,,,,,,,,,लिहाज़ा अब मैं बैठ रहा हूँ लिखने के लिए............
इतना समय भी मेरे पास नहीं है कि आधा घंटा प्रभु का ध्यान
करके अपने अग्रज के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना कर सकूँ...........


ये दर्द है एक कलाकार का ....उस कलाकार का जिसने कभी रोना
और रुलाना सीखा ही नहीं...बस हँसना और हँसाना ही सीखा है
लेकिन आज चूँकि मेरा स्वास्थ्य भी बहुत खराब है इसलिए एक
गड़बड़ हो गई कि मेरी भी हिम्मत जवाब दे गई और एक बार फिर
मैंने सिगरेट सुलगाली.................. बड़ी मुश्किल से छूटी थी.....
पता नहीं अब वापिस कब छोड़ पाऊंगा.........


क़मर जलालाबादी का शे' याद आता है -

खुशियाँ मिलीं तो उनको ज़माने में बाँट दी
और ग़म मिला तो अपने ही घर ले के गया

लेकिन मैं छोटा आदमी हूँ, मैंने तो आज मेरा दर्द भी आपसे बाँट दिया
















www.albelakhatri.com

11 comments:

Yashwant Mehta "Yash" said...

सभी के लिए स्वास्थय लाभ की दुआ करते है
इश्वर सबको अतिशीघ्र स्वस्थ करें
ये सिगरेट से बचकर रहिए
बेहतर होगा अगर एक गिलास पानी पी लें जब भी सिगरेट पीने की इच्छा हो

दिनेशराय द्विवेदी said...

हर हंसी के पीछे एक दर्द छुपा होता है।

दिनेशराय द्विवेदी said...

व्यस्तता के बीच भी कुच समय अपनों के लिए अवश्य रखें।

Rohit Singh said...

मेरा नाम जोकर फिल्म याद है न भाई....हिम्मत तो करनी ही पड़ेगी ही किसी तरह....दर्द बांटने से घटता भी तो है..वैसे भी जो परिस्थिती आपके चारों ओर है, उससे आप ही बेहतर निपट सकते हैं..आप अपना काम यदि ईमानदारी से कर रहें हैं तो ऊपरवाला कोई न कोई खुशी हर इंसान के लिए रखता है..तमाम दुश्ववारी के बावजूद मेरा यही मानना है..और बात सही भी है....क्योंकी कुछ पाने के लिए तो कुछ खोना भी पड़ता है....पैसा कमाना भी जरुरी है ताकि आपके आसपास वाले सुख से रहें....पैसा बांसुरी बजाना नहीं सिखाता पर बांसुरी हो तो आदमी बजाने की कोशिश तो कर सकता है....वैसे दिल को छोटा न करें....भाई साहब जल्द ही ठीक हो जाएंगे..इस ऑपरेशन के बाद 8-10 दिन कम से कम लगते हैं बिस्तर से उतरने में....कोई अपना बिमार होता है तो दिल तो लरजता ही है...मैं भी जानता हूं झेल रहा हूं...

दीपक 'मशाल' said...

सच में दुनिया को हसांने वाले के 'सूखे आँसू' दिखते ही नहीं.. बहुत दुःख हुआ सुनकर की आप इतनी परेशानियों से घिरे हैं.. मुरलीवाले पर भरोसा है आपको और मुझे भी.. मेरे तो हर काम जब नहीं बनते तो उन्हीं पर डाल देता हूँ.. और देखते ही देखते सब ठीक हो जाता है..
एक गीत भी है-
'सारे जगत का इक रखवाला... मोहन मुरली वाला रे...'
भाई साहब जल्दी ही चलने-फिरने लायक हों ये कामना है.. और भतीजे श्री भी बीमारी से निजात पायें..
आपसे एक निवेदन है जो की सबसे करता हूँ.. सिगरेट छोड़ दें.. क्योंकि सिगरेट को आपने पकड़ा है ना की सिगरेट ने आपको.. छोड़ना इसीलिए आसान होगा..
all the best भी कहूँगा..
जय हिंद... जय बुंदेलखंड...

संगीता पुरी said...

झख मार कर मुझे लोगों को हँसाना पड़ा..........

भले ही माँ की आँखों से आँसू बह रहे थे......और उन्हें ढाढस देने के

लिए केवल बांसुरी वाला ही घर में था ..बाकी सब तो अस्पताल

में थे...........

ये दर्द है एक कलाकार का ....उस कलाकार का जिसने कभी रोना

और रुलाना सीखा ही नहीं...बस हँसना और हँसाना ही सीखा है ।

बहुत मार्मिक लेखन .. जीवन में सफलता पाने के लिए बहुत समझौता करना पडता है !!

Udan Tashtari said...

चार्ली चेपलीन की कहानी तो आप जानते ही है और फिर कलाकारों का ब्रह्म वाक्य ’Show must go on'- वाकई हँसी के पीछे दर्द का समुन्द्र-वो किसी को नहीं दिखता.

Anonymous said...

खुशियाँ मिलीं तो उनको ज़माने में बाँट दी
और ग़म मिला तो अपने ही घर ले के आ गया


सच है, सफलता पाने के लिए बहुत समझौते करना पड़ते हैं।
परमात्मा सभी पर अपना आशीष बनाए रखे

अपना ख्याल रखें

बी एस पाबला

डॉ टी एस दराल said...

ये दर्द है एक कलाकार का ....उस कलाकार का जिसने कभी रोना

और रुलाना सीखा ही नहीं...बस हँसना और हँसाना ही सीखा है ।
कलाकार का यही धर्म है , अलबेला जी।

जो हँसते हैं, वो अपना ग़म भुलाते हैं।
जो हँसाते हैं , वो दूसरों के ग़म मिटाते हैं।

भाई साहब ज़ल्दी ठीक हो जायेंगे।
लेकिन सिगरेट वाली बात से तो हम भी रुष्ट हैं।

राज भाटिय़ा said...

अलबेला जी यह कहानी एक कला कार ही नही हम सब की है.... बहुत बार ऎसा ही होता है, आप हिम्मत ना हारे, सब ठीक ठाक ही होगा, भगवान पर भरोस्सा रखे , लेकिन इस मुयी सिगरेट को सब से पहले फ़ेंक दे, अगर आप के पास सिगरेट पीने के लिये समय है तो उस समय का सदुप्योग करे कोई पाठ चाहे मत करे लेकिन उस भगवान का धन्यवाद जरुर करे, फ़िर देखे सब अच्छा ही होगा

राजीव तनेजा said...

शो मस्ट गो ऑन...
हमारा काम सबको हँसाना है और हम इसी के लिए जाने जाते हैं ...
रही बात धूम्रपान की तो उस जितनी जल्दी हो सके...छोड दें

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