Sunday, October 11, 2009

कोई ऊँच नीच नहीं है, सब नीच ही नीच है .............

हास्य कवि सम्मेलनों में एक जुमला आजकल खूब चल रहा है कि भारतीय

राजनीति में कोई ऊँच नीच नहीं है, सब नीच ही नीच है ......... ये बात समझ

में भी आती है........


मेरे मित्र कवि स्वर्गीय श्याम ज्वालामुखी कि कुछ पंक्तियाँ दे रहा हूँ :


पहुँच गए हम भी नेतागीरी के इंटरव्यू में

प्रश्न था क्या आपने कभी किसी अंधे भिखारी के कटोरे में

एक रूपये का सिक्का दाल कर दो का सिक्का उठाया ?

हमने कहा नहीं !

वे बोले- क्या ख़ाक नेता गीरी निभाओगे...

एक अंधे को तो बेवकूफ बना नहीं सके,

सौ करोड़ आँख वालों को कैसे बनाओगे...........

5 comments:

Murari Pareek said...

waah bilkul sahi netaagiri ke gur sikhiye!!

राज भाटिय़ा said...

बस अब हमे भी यह गुर आ गया ओर समझ मै भी आ गया कि यह जिसे सब युवराज युवराज कहते है क्यो झोपडी मै जा कर सोता है....केसे लोगो को...

अजय कुमार said...

chola badalte rahiye , netagiri chamak jayegi

डॉ टी एस दराल said...

हा हा हा !!!
बहुत खूब मारा.

दिनेशराय द्विवेदी said...

सही बात है पर राजनीति कुछ लोग जमीन पर भी कर रहे हैं जो वर्तमान राजनीति का बदल हो सकता है। कभी मंच पर उस की भी बात कीजिए।

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