Saturday, October 31, 2009

रोटियाँ माँ जैसी....तो आटा बाप जैसा ...........

हर आदमी को

अपनी
माँ के हाथ की रोटियां पसन्द होती हैं,

मुझे भी है

मैंने कल अपनी पत्नी से कह दिया

- रोटियां मेरी माँ जैसी बना दिया कर

वो बोली - बना दूंगी.......

आटा
अपने बाप जैसा गूँथ दिया कर

__हा हा हा हा हा हा हा

14 comments:

Unknown said...

हा हा हा हा

फिर आपने गूँथा क्या आटा? :-)

Kulwant Happy said...

हा हा तो हमारे के लिए छोड़ दिया करो जी। बहुत शानदार। कुछ दिन पहले एक पंक्ति दिमाग में आई थी।

मां बन बिगाड़ती है औरत
पत्नी बन संवारती है औरत

संगीता पुरी said...

हर व्‍यक्ति में कुछ खूबी और खासियत होती है .. आप किसी की तुलना किसी से करेंगे .. तो आपकी तुलना भी किसी से की ही जाएगी .. एक बाप ने बेटे से कहा था,'जब जवाहर लाल जी तुम्‍हारी उम्र के थे तो क्‍लास में फर्स्‍ट आते थे', बेटे ने तपाक से कहा , 'और जब वे आपकी उम्र के थे , तो प्रधानमंत्री बन चुके थे'!!

M VERMA said...

चलो इतमिनान हुआ. मै समझा था यह त्रासदी मेरे ही साथ है

विनोद कुमार पांडेय said...

बहुत खूब...मजेदार किस्सा!!

शेफाली पाण्डे said...

baap re baap.....

Toon Indian said...

lolz..to phir aapne maa ki haath ki rotiya khanna chood diya :)

परमजीत सिहँ बाली said...

अब फरमाईश करेगें तो यही तो होना है.......चुपचाप जैसी मिलती है खा लो.....:))

vandana gupta said...

waah.........mazaa aa gaya .

समयचक्र said...

चुपचाप खाते रहिये वरना भाभीजी आपसे आटा गुथवा लेंगी ......हा हा हा हा हा

डॉ टी एस दराल said...

हा हा हा , मज़ा आ गया.

भाई, सच्चाई को मानने में शर्म कैसी.
महारत हर काम में होनी चाहिए.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

मैंने कल अपनी पत्नी से कह दिया

- रोटियां मेरी माँ जैसी बना दिया कर ।

वो बोली - बना दूंगी.......

आटा अपने बाप जैसा गूँथ दिया कर

__हा हा हा हा हा हा हा

वाह...!
नहले पे दहला।
बहुत बढ़िया।

राजीव तनेजा said...

मज़ेदार...इसे कहते हैँ..नहले पे दहला

Ambarish said...

ha ha ha

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