Tuesday, October 13, 2009

शराब तो अच्छी थी, मेरा ही लीवर कमज़ोर था....

एक सॉलिड बेवड़ा

दारू
पी पी कर मर गया

लेकिन
दारू के प्रति उसकी श्रद्धा तो देखो..........

वो
मरते मरते भी यही कहता रहा

कि
शराब तो अच्छी थी, मेरा ही लीवर कमज़ोर था,

जो उसे झेल सका ____हा हा हा हा

6 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

बेचारा मुहब्बत पर कुर्बान हो गया।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

चुटकुला तो पुराणी बोतल में नई शराब की तरह था, मगर ब्लॉग का नया रुप अच्छा लगा !

संगीता पुरी said...

वफादार था बेचारा !!

Unknown said...

खराब शराब नहीं लीवर ही होता है! :-)

नशा शराब में होती तो नाचती बोतल ...

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

चलो मरा तो सही, लेकिन वफ़ादार था, माशु्का पर तोहमत नही लगा गया,सलाम है उसकी वफ़ादारी को।

M VERMA said...

गलत तो नही कह रहा था ---

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