Thursday, August 30, 2012

क्या सखि अजमल ? नहिं रे कसाब


तीन सामयिक कह-मुकरियां 


निर्दोषों का वह हत्यारा 


जन जन ने उसको धिक्कारा 


किया कोर्ट ने ठीक हिसाब 


क्या सखि अजमल ? नहिं रे कसाब




वो सबका इन्साफ़ करेगा 


नहिं हत्याएं माफ़ करेगा 


ख़ून का बदला लेगा ख़ून 


क्या सखि मुन्सिफ़ ? नहिं कानून  



हुआ आज हर्षित मेरा मन 



करूँ ख़ूब उनका अभिनन्दन 


काम कर दिया उसने अनुपम 


क्या सखि मन्नू ? नहिं वोह निकम 



-अलबेला खत्री 

sadhna sargam,anoop jalota,parthiv gohil,kirtidan gadhvi,albela khatri ki kah-mukri,jai maa hingulaj,hinglaj      



 

Thursday, August 23, 2012

बीज जो बोया था हमने रक्त का, बलिदान का

आओ सम्वाद करें
चमन में मुरझाते हुए फूलों पर
जंगल में ख़त्म होते बबूलों पर
माली से हुई  अक्षम्य भूलों पर
सावन में सूने दिखते  झूलों पर 
कि  कैसे इन्हें आबाद करें........आओ सम्वाद करें

गरीबी व भूख के मसलों पर
शहर में सड़ रही फसलों पर
भटकती हुई  नई  नस्लों पर
आँगन में उग रहे असलों पर
थोड़ा वाद करें, विवाद करें........आओ सम्वाद करें

शातिर रहनुमा की अवाम से गद्दारी पर
हाशिये पर खड़ी पहरुओं की खुद्दारी पर
मिट्टी के माधो बने हर एक दरबारी पर
बेदखल किये  गये लोगों की हकदारी पर
थोड़ा रो लें, अवसाद करें .........आओ सम्वाद करें

ज़ुल्म अब तक जो हुआ, जितना हुआ हमने सहा
न तो ज़ुबां मेरी  खुली और न ही कुछ तुमने कहा 
किन्तु अब खामोशियाँ  अपराध है
अब गति स्वाभिमान की निर्बाध है
तोड़ना है चक्रव्यूह अब देशद्रोही राज का
हर बशर मुँह ताकता है  क्रांति के आगाज़ का
बीज जो बोया था हमने रक्त  का, बलिदान का
व्यर्थ न जा पाए इक कतरा भी हिन्दुस्तान का
साजिशें खूंख्वारों की बर्बाद करें ....आओ सम्वाद करें ....आओ संवाद करें

जय हिन्द !
-अलबेला खत्री 

संवत्सरी,अणुव्रत, मिच्छामी दुक्कड़म,michhami dukkadam, jainism,jain, paryushan, mahavir,terapanth 



Wednesday, August 22, 2012

ओपन बुक्स ऑन लाइन से ज़रूर जुड़ना चाहिए.

सिल्कसिटी सूरत के सर्वप्रथम एवं सुप्रतिष्ठित दैनिक लोकतेज़ के मुख्य पृष्ठ पर इन दिनों मेरी एक "कह-मुकरी" रोज़ाना प्रकाशित हो रही है. 
ओपन बुक्स ऑन लाइन के माननीय प्रबन्धन सदस्य  सर्वश्री  योगराज प्रभाकर, अम्बरीश श्रीवास्तव, गणेश जी बागी, सौरभ पाण्डेय समेत अन्य विद्वानों के सान्निध्य में कविता के अनेक आयामों को सीखने का लाभ लेते हुए  मैं  स्वयं को पहले से ज़्यादा ऊर्जस्वित और परिष्कृत पा रहा हूँ .

ओ बी ओ के प्रधान संपादक योगराज जी से प्रेरित हो कर मैंने कह-मुकरियां लिखना शुरू किया  और जब इसमें रस आने लगा तो लोकतेज़ के संपादक कुलदीप सनाढ्य से कहा कि मैं  इस विधा पर लम्बा काम करना चाहता हूँ  तो उन्होंने एक रचना रोज़ाना प्रकाशित करने का निर्णय तुरन्त ले लिया .

मेरे प्यारे कवि/कवयित्री मित्रो ! अनुभव के आधार पर कहना चाहता हूँ  कि जो लोग लगातार नया लिखते रहते हैं  और सचमुच  साहित्य को समृद्ध करना चाहते हैं उन्हें ओपन बुक्स ऑन लाइन से ज़रूर जुड़ना चाहिए.

अगर अभी तक आप सदस्य नहीं बने हैं............तो अभी बनिए..........क्योंकि  हिन्दी जगत में इसके अलावा ऐसी दूसरी कोई चौपाल नहीं  जहाँ कविता लेखन  सिखाने के लिए सृजन के इतने महारथी एक साथ उपलब्ध हों .

जय ओ बी ओ
जय हिन्दी
जय जय हिन्द !

_अलबेला खत्री 




Tuesday, August 14, 2012

स्वतंत्रता की वर्षगाँठ पर तहेदिल से मुबारकबाद और आत्मिक बधाइयां


सभी दोस्तों को 

आज़ादी की सालगिरह  अथवा  स्वतंत्रता की वर्षगाँठ पर  

तहेदिल से मुबारकबाद और आत्मिक बधाइयां 
aazadi, bharat,swatantrata divas, albela khatri,hinglaj, badhaai




Labels

Followers

Powered By Blogger

Blog Archive